Poem
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भाषा-साहित्य
मेरे जज़्बात कविता – मेघदूत प्रदीप
एक तस्वीर खींचनी है मुझे, अपने सोए हुए जज्बातों की । एक तस्वीर खींचनी है मुझे, अपने ठहरे हुए भावों…
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भाषा-साहित्य
आसाँ नहीं किसी के दिल में जगह बनाना – श्वेता साँची
खुद को तबाह कर के आखिर ये हम ने जाना , आसां नहीं किसी के दिल में जगह बनाना झोली…
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भाषा-साहित्य
विवेकानंद – अमित मिश्र
वह साधु था वह सेवक था परिचय हो उस ज्ञानी से भारतीय संस्कार दिखाया भाइ-बहनो की वाणी से खुद के…
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भाषा-साहित्य
हर तअल्लुक जंग है खाया हुआ – सुशान्त वर्मा
किस क़दर है काम में लाया हुआ हर तअल्लुक़ ज़ंग है खाया हुआ रोज़ थोड़ा थोड़ा मैं ज़ाया हुआ तब…
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भाषा-साहित्य
लोग फ़रिश्ते लगते थे – विनोद कुमार
राह ग़लत जाते ही घर के सब समझाने लगते थे। दौर भी वो कितना सुंदर था लोग फ़रिश्ते लगते थे।…
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भाषा-साहित्य
राहें खुदा नहीं है ये बन्दगी नहीं है – शिल्पा जैन
भर पेट रोटी सब्जी कभी तो मिली नहीं है रहने को भी ख़ुदाया इक झोपड़ी नहीं है मैं देश पर…
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भाषा-साहित्य
इश्क़ इक दर्दे दवा है – रश्मि प्रदीप
सुना था इश्क़ इक़ दर्दे दवा है ग़लत थी मैं बड़ी ये बेवफ़ा है। जहां हर शख्स चोटें खा रहा…
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ग़ज़ल
ख़ुद मुझे अपनी कहानी से जुदा होना पड़ा – दीपशिखा ‘सागर’
लफ्ज़ ए उल्फ़त के मआनी से जुदा होना पड़ा, मिसरा ए ऊला को सानी से जुदा होना पड़ा। तितलियाँ हँस…
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भाषा-साहित्य
क्या खोजता है? – मोहन झा
श्रृंगनगपतिजयी मानव! चन्द्र मंगल पग धरे, क्या खोजता है? मर्त्यजीवन अर्थ खोजो, व्यर्थ विचरण व्योम में, क्या खोजता है? लथपथ…
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