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हनुमान जन्मोत्सव एक साल में दो बार क्यों मनाया जाता है ? जानिए रहस्य…

Hanuman Janmotsav: हनुमान जन्मोत्सव एक साल में दो बार क्यों मनाया जाता है ? जानिए इसके पीछे का अद्भुत रहस्य

फोटो : दसौत महरानी हनुमान मंदिर

Hanuman Janmotsav: हनुमान जन्मोत्सव, हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन को भगवान हनुमान के जन्म का स्मरण किया जाता है। भक्त इसे धार्मिक उत्साह के साथ मनाते हैं और पूजा के द्वारा शुभ फलों की कामना करते हैं। हनुमान का जन्म राजा केसरी और माता अंजनी के घर में हुआ था।

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हनुमान जन्मोत्सव, भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है जो हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा और कार्तिक मास की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इसका रहस्य उनके अद्वितीय भक्ति और आस्था में छिपा है। भक्तों का मानना है कि ये दिन भगवान हनुमान के अधिक आसन्न होने का समय है और उनसे अधिक प्राप्ति होती है। इसलिए, इन दिनों पूजा, पाठ, और ध्यान की अधिकता होती है।

चैत्र मास में इस वजह से मनाया जाता है हनुमान जन्मोत्सव
हनुमान जन्मोत्सव का चैत्र मास में मनाने का कारण एक पौराणिक कथा में छिपा है। इस कथा के अनुसार, एक बार भूख से बेहाल बाल हनुमान ने भोजन की लालसा में सूर्यदेव को फल समझकर निगल लिया था। जब इंद्रदेव ने उन्हें सूर्य को मुख से निकालने को कहा, तो हनुमान ने मना कर दिया। इससे देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने हनुमान पर वज्र से प्रहार किया, जिससे हनुमान मूर्छित हो गए। इस घटना को देख पवनदेव भी क्रोधित हो गए और उन्होंने पूरे जगत से वायु का प्रवाह रोक दिया। लोग मानते हैं कि चैत्र मास में हनुमान जन्मोत्सव मनाने से वे संघर्ष की इस कथा को स्मरण करते हैं और उनकी आराधना उत्तम होती है। इसलिए, यह पर्व भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है और वे इसे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं।चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि पर, ब्रह्मा जी और अन्य देवताओं ने हनुमान को दूसरा जीवन प्रदान किया और उन्हें अपनी-अपनी दिव्य शक्तियाँ भी दी। इस घटना के बाद से, इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाये जाने लगा। इस उत्सव में भक्त उत्साह और आस्था के साथ हनुमान का पूजन करते हैं और उनके जन्म के रहस्य की आदर्श याद करते हैं।

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इस दिन जन्मे थे अंजनी पुत्र
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वीर हनुमान का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था। उनकी माता अंजनी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। उनके जन्म के समय कई प्रकार के शुभ संयोग हुए थे, जैसे कि ग्रहों की शुभ स्थिति, दिव्य आत्मा का आविर्भाव, और देवी अंजना की आशीर्वाद। यह समय एक अद्वितीय और अत्यधिक महत्वपूर्ण समय था, जहां प्राकृतिक और दिव्य शक्तियों का मिलन हुआ। इस विशेष समय पर हनुमान जी का जन्म होना, उनकी महिमा और उनके अत्यधिक शक्तिशाली होने का प्रमाण है। इसलिए, भक्तों में इस दिन को विशेष महत्व दिया जाता है, और हनुमान जन्मोत्सव के रूप में इसे मनाया जाता है।

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