भाषा-साहित्य

क्या खोजता है? – मोहन झा

कविता

मोहन झा

श्रृंगनगपतिजयी मानव!
चन्द्र मंगल पग धरे, क्या खोजता है?
मर्त्यजीवन अर्थ खोजो,
व्यर्थ विचरण व्योम में, क्या खोजता है?

लथपथ मनुजता व्यूह में निःशस्त्र एकल;
छिन्न कर दे व्यूह को जो हैं कहाँ अब पार्थ केशव,खोजता है?

बीज शोणित नग्न ताण्डव कर रहा अब;
असुर शोणित सोख ले जो
है कहाँ खप्पर शिवा,कुछ खोजता है?

यह भी पढ़ें  जिलाधिकारी योगेन्द्र सिंह धान फसल कटनी प्रयोग का किया निरीक्षण

कर रहा कर क्रूर कलुषित स्वसा शुचि सम्मान को;
कृपाण काली की कहाँ जो कर सके कर क्रूर खण्डित, खोजता है?

शिशु करुण क्रन्दन धरा दिक् व्योम गुञ्जित;
विधा वर्षण सुधा की मनुजता हो पुष्ट मानव तुष्ट जिससे, खोजता है?

यह भी पढ़ें  विमल पांडेय रक्षा गुप्ता दिखें एक साथ

श्रृंगनगपतिजयी मानव!
चन्द्र मंगल पग धरे क्या खोजता है?

मोहन झा, कोलकाता.

अगर आप साहित्यकार हैं तो आप भी अपनी अप्रकाशित रचनाएँ हमें भेज सकते हैं
अपनी रचनाएँ हमें ईमेल करें : gaamgharnews@gmail.com
या व्हाट्सप्प करें: +919523455849 

अपने प्रतिष्ठान विज्ञापन फ़िल्म बनाने के लिए या डिजिटली प्रोमोट करने के लिए हमसे संपर्क करें – +917903898006

यह भी पढ़ें  पितृपक्ष विशेषांक "गया गीतिका" का हुआ लोकार्पण

Ashok Ashq

Ashok ‘’Ashq’’, Working with Gaam Ghar News as a Co-Editor. Ashok is an all rounder, he can write articles on any beat whether it is entertainment, business, politics and sports, he can deal with it.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button