Mohan Jha
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भाषा-साहित्य
क्या खोजता है? – मोहन झा
श्रृंगनगपतिजयी मानव! चन्द्र मंगल पग धरे, क्या खोजता है? मर्त्यजीवन अर्थ खोजो, व्यर्थ विचरण व्योम में, क्या खोजता है? लथपथ…
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