धर्म-कर्म

हरितालिका तृतीया व्रत (तीज या तीजा व्रत) तथा पूजन

आचार्य धीरज द्विवेदी "याज्ञिक"

धर्म कर्म : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है. हरतालिका तीज व्रत एक कठिन व्रत माना जाता है. इसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं. दरअसल भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है

हरितालिका तृतीया व्रत में द्वितीया युक्त तृतीया का व्रत नहीं करना चाहिए वरन् चतुर्थी युक्त तृतीया का व्रत किया जाता है अर्थात सूर्योदय के समय तृतीया तिथि हो बाद में चतुर्थी तिथि लग जाने पर ही यह व्रत प्रशस्त होता है । इस बार 18 सितंबर 2023 सोमवार को सूर्योदय के समय में तृतीया तिथि है जो कि दिन में 10:31 मि. तक है इसके बाद चतुर्थी तिथि लग जा रही है अतः इस दिन ही तीज का व्रत करना उत्तम होगा ।

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हरितालिका तृतीया व्रत का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है भले ही उस समय चतुर्थी तिथि लग जाय इसमें पूजन के समय तृतीया तिथि ही हो ऐसी कोई बाध्यता नहीं है अतः दिवस पर्यन्त व्रत पूर्वक सायंकाल प्रदोषकाल में 05:30 मि. से 06:35 मि. तक पूजन का उत्तम मुहुर्त रहेगा जबकि सायंकाल 05 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक पूजन करने से भी पूजन के पूर्ण फल की प्राप्ति होगी इसमें किसी भी प्रकार से भ्रमित नहीं होना चाहिए।

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