नीतीश कुमार के दबाव की काट निकाल रही BJP
मंत्रालयों के बंटवारे पर भी सख्त रुख; क्या तैयारी?
Patna : नरेंद्र मोदी की भाजपा, दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने के बाद, गठबंधन सरकार चलाने पर मजबूर है। जेडीयू और तेलुगु देशम पार्टी ने बड़े मंत्रालयों की मांग की है, और लोकसभा स्पीकर के पद का भी दावा किया है। नीतीश कुमार की पार्टी ने अग्निवीर जैसी स्कीमों में बदलाव की मांग की है। इस दबाव से भाजपा थोड़ी टेंशन में है, और वह छोटे दलों और निर्दलीय सांसदों के साथ बातचीत कर रही है।
भाजपा को लगता है कि नीतीश कुमार के साथ रहते हुए भी सरकार को करीब 290 सांसदों के साथ बनाना चाहिए, ताकि नीतीश कुमार के दबाव का सामना किया जा सके। भाजपा लोकसभा स्पीकर के पद को नहीं देना चाहती, क्योंकि उसका रोल अहम हो सकता है, जब किसी के समर्थन वापस लेने की स्थिति आती है। टीडीपी की नजर स्पीकर के पद पर है, ताकि सत्ता की कुंजी पकड़ी जा सके, लेकिन भाजपा इस पद को भी देने से हिचक रही है।
‘नितिन गडकरी वाले मंत्रालय पर अड़ी है भाजपा’
भाजपा ने सहयोगी दलों को स्पष्ट कर दिया है कि सीसीएस वाले यानी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के तहत आने वाले 4 मंत्रालयों को नहीं दिया जाएगा। इन मंत्रालयों में हैं- होम मिनिस्ट्री, डिफेंस, वित्त और विदेश मंत्रालय। भाजपा इसके अलावा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भी नहीं देना चाहती है। नितिन गडकरी ने इस मंत्रालय में बीते 10 सालों में उत्कृष्ट काम किया है, और भाजपा चाहती है कि रिपोर्ट कार्ड मजबूत करने वाले मंत्रालय को अपने पास ही रखा जाए।
‘रेलवे भी क्यों नहीं देना चाहती भाजपा, जेडीयू की है नजर’
मंत्रालय को लेकर चल रही खींचतान रेलवे पर भी है। दो कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने रेलवे में कई अहम बदलाव किए हैं, जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई गई हैं, पटरियों का दोहरीकरण और विद्युतीकरण। इसलिए भाजपा नहीं चाहती कि जेडीयू को यह मंत्रालय देकर सुधारों में ब्रेक लगने दिया जाए। भाजपा चाहती है कि फूड प्रोसेसिंग, भारी उद्योग जैसे मंत्रालय सहयोगियों को दिए जाएं। वे मंत्रालय अपने पास ही रखे जाएं, जो सरकार के लिए रिपोर्ट कार्ड को दुरुस्त रखने को जरूरी हैं।