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“फाग के राग से हम सभी का जीवन प्रफुल्लित – आनंदित – प्रसन्नचित्त होता रहे” : समस्तीपुर एसपी विनय तिवारी

समस्तीपुर के एसपी विनय तिवारी के Facebook वॉल से

समस्तीपुर: होली का अर्थ बसंत की अथाह ऊर्जा का हर्ष है। ये ऊर्जा पूरे भारतवर्ष में प्रवाहित हो रही है। होली प्रतीक है नव ऊर्जा – नवसृजन का, हमारी भौतिक शक्ति के स्पंदन का, विविध सामाजिक रंगों की एकता का। होली प्रतीक है द्वेष – क्लेश – बैर के दमन का, स्नेह – मैत्री – मिलन के उन्नयन का, मनुष्य में मनुष्यता के भाव की प्रबलता का, नकारात्मक शक्तियों के दमन का, होली प्रतीक है भारत की सामाजिक एकता का, हास्य-प्रमोद-विनोद को जीवन में उतारने का, रंगों के माध्यम से प्राकृतिक विविधता को पहचानने का। होली प्रतीक है, साहित्य के लोक से जुड़ने का, प्राकृतिक तरंग के संगीत का, गंभीर विमर्श में भी विनोद की लहरों के उठने का।

होली अवसर है, ऋतु बसंत का और माह फाग का, चैत्र के आने की सुगबुगाहट का, फसलों के परिपक्व होने का, पेड़ों में पुष्पों के आने का। होली सुअवसर है, हर रंग में प्रकृति के किसी एक अंग की पहचान का, रंगो की तरह आपस में घुल मिल कर बहुरंगी व्यक्तित्व बनाने का। होली सुअवसर है, अपने पुराने साथियों से पुनः संपर्क स्थापित करने का, कड़वाहट की आहट को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा से आपसी संबंधों को संपन्न करने का। होली सुअवसर है नगरवासियों का सड़कों पर प्रेम और सौहार्द बांटने का। होली रंग से अधिक उमंग की होती है। प्रकृति में बसंत की उमंग और हम सभी में सकारात्मक ऊर्जा की उमंग।

हर होली पर उभरती उमंग में सहसा याद आता है उपवन, बनारस के अपने विश्वविद्यालय का, काशी की गलियों का, घाटों पर व्यतीत हुए जीवन का, गंगा की लहरों पर पलकों के ठहरने का। हर होली पर याद आता है वो अस्सी का घाट, वो पूरे नगर का सड़कों पर आना, क्या मित्र -क्या शत्रु , क्या परिचित-क्या अपरिचित सब का एक दूसरे को रंग से सराबोर करना, मनुष्य की ऊर्जा का काशी के समतल धरातल पर परिलक्षित होना। बनारस की होली में शक्ति है तो मस्ती भी है। प्रेम है तो कटाक्ष भी है। शंकर के अद्वैत का अनंत साहित्य है, सांख्य के दर्शन का अध्यात्म है तो चार्वाक के सिद्धांतों की प्रत्यक्ष विवेचना है।

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वो काशी की होली है। वो बार बार बुलाती है। होली शहरों, नगरों, कस्बों, गांवों, पुरों, मंडलों की ऊर्जा मापन का मानक यंत्र है। किस नगर के लोग कितने ऊर्जित हैं, उनके कम्पन की आवृत्ति क्या है, उनके जीवन का सामूहिक दर्शन क्या है, यह सब होली पर उस शहर की सड़कों पर दिख जाता है। काशी के जीवन जीने का सामूहिक दर्शन अल्हड़ मस्ती, रंगों का आपसी विनोद आज काशी की सड़कों पर उमड़ता दिख जाता है।

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काशी जीवन के अंत में मोक्ष की नगरी है। लेकिन उससे बहुत अधिक पहले काशी होली की मस्ती की नगरी है। काशी की होली में जीवन की मस्ती है तो काशी के मोक्ष में भी परम आनंद है। जीवन की संपूर्णता के पार जाकर देखें तो जीवन सिर्फ आनंद ही है। सृष्टि का अनहद नाद ही परम आनंद है। ये अनहद नाद काशी की होली में है तो काशी के मोक्ष वाले स्वरूप में भी है। काशी जाने की जितनी तीव्र इच्छा मोक्ष धाम के रूप में होती है उससे कहीं प्रबल इच्छा काशी में होली को देखने की होती है।

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रंगोत्सव की अनंत शुभकामनाएं।

एसपी विनय तिवारी

 

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