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बंदा दसौत का मानस मंदिर है बेहद खास दीवारों पर लिखी हैं रामचरितमानस

देश के दूसरे मानस मंदिर के लिए दान में मिले तीन करोड़, 60 प्रतिशत हुआ काम अभी और दान की है जरूरत मंदिर का रुका है काम

धर्म कर्म: शिवाजीनगर प्रखंड अंतर्गत दसौत पंचायत में बंदा गांव में मानस मंदिर है। इस मंदिर की अपनी अलग ही खासियत है। यहां जो भी दर्शनार्थी आता है मंदिर उसकी यादों में बस जाता है। तुलसी मानस मंदिर की सभी दीवारों पर रामचरितमानस के दोहे और चौपाइयां लिखी हैं। इस जगह को लोग परम धाम मानस मंदिर के नाम से भी जानते है। दुनिया की सबसे प्राचीनतम नगर काशी को मंदिरो का शहर कहा जाता है। इस शहर का सबसे ज्यादा महत्व काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा यहां पर कई अन्य मंदिर हैं। इन्हीं में से एक तुलसी मानस मंदिर हैं । वही मानस मंदिर यहाँ दसौत पंचायत बंदा गांव में है ।

तुलसी मानस मंदिर की वास्तुकला (Manas Mandir Architecture)
यह मंदिर हिंदू समाज के भगवान “राम” के जीवन पर आधारित एक पवित्र ग्रंथ “रामचरित मानस” और उनके रचयिता को समर्पित है, ग्रंथ के रचयिता “गोस्वामी तुलसीदास” जी हैं। इस मंदिर का नाम रामचरितमानस शब्द के “मानस” से लिया गया है। मंदिर की वास्तुकला बहुत ही मनमोहक और अद्भुत है। इस मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है और प्रवेश द्वार पर “परम धाम मानस मंदिर” लिखा हुआ है। मंदिर के पूरी दीवारों में रामचरितमानस के दोहे, चौपाई, श्लोक लिखा हैं। मानस मंदिर के केंद्र में भगवान राम, माता जानकी और लक्ष्मण दाई भाग से हनुमानजी बाए भाग से भगवान श्री कृष्ण राधा की प्रतिमा हैं। इसके अलावा यहां एक तरफ माता पार्वती और भगवान शिवजी का मंदिर भी है। मंदिर के बाईं ओर ओर हरे भरे एक आकर्षक तुलसी उद्यान है और चार घाटों वाला एक सुंदर तालाब है। मंदिर प्रागण में मधुर स्वर में संगीतमय रामचरितमानस संकीर्तन गुंजायमान रहता है।

प्राचीन मंदिर एवं निर्माण
लोगों का कहना है कि पहले यहां छोटा सा मंदिर हुआ करता था। यह मंदिर 300 सौ साल से है यह प्राचीन मंदिर है यहाँ बड़ी मंदिर बनाई जा रही जिसका अब तक करीब 3 करोड़ रुपए के लागत से 60 प्रतिशत तक हो चुका है मंदिर निर्माण का काम। देश के दूसरे मानस मंदिर के लिए दान में मिला तीन करोड़, 60 प्रतिशत हुआ है काम, अभी और दान की है जरूरत मंदिर का रुका है काम पिछले कई साल से चल रहे मानस मंदिर के निर्माण का काम । ग्रामीण एवं क्षेत्र के समाजसेवियों में मंदिर निर्माण के लिए सहोग्य मिली है ।

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तुलसी मानस मंदिर के बारे में कुछ तथ्य (Facts About Manas Mandir)
✻ मंदिर के अंदर एक बड़ा प्रार्थना कक्ष/ हॉल भी है।
✻ मंदिर के पास पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, यहां घूमने आने वाले लोग अपने वाहनों को सड़क किनारे पार्क करते हैं।

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रामचरित मानस के बारे में कुछ बातें
रामचरितमानस मानस की रचना 16वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदासजी ने की, लेकिन उससे पहले महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य “रामायण” की रचना की थी। महर्षि वाल्मीकि ने ग्रंथ “रामायण” को संस्कृत भाषा में लिखा था। संस्कृत भाषा में होने के कारण आम लोग रामायण नहीं पढ़ पाते थे, लेकिन तुलसीदासजी ने “रामचरितमानस” को अवधि (हिंदी) भाषा में लिखा था, जिसके कारण रामचरित मानस आम जनता के बीच बहुत ही कम समय में लोकप्रिय हो गया।

❇ गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरितमानस को 2 साल, 7 माह और 26 दिन में लिखा।
❇ रामचरितमानस शब्द का शाब्दिक अर्थ है “राम के कर्मों का सरोवर”
❇ रामचरित मानस में ही राजा राम को श्री हरि के अवतार अर्थात् भगवान के रूप में वर्णित किया गया है।

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कैसे पहुंचे मंदिर
मानस मंदिर जाने के लिए आप समस्तीपुर रेलवे स्टेशन, दरभंगा रेलवे स्टेशन, रोसड़ा रेलवे स्टेशन पहुंचकर वहा से बस से बंदा चौक जाएं। शहर के भीड़-भाड़ भरे माहौल से हटकर गांव में है यह मंदिर शांति का प्रतीक है।

निष्कर्ष
दोस्तों, आज के इस लेख में हमने आपको दसौत पंचायत में स्थित मानस मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी दी है। हमें आशा है, कि आज का यह लेख आपको बंदा की मानस मंदिर की यात्रा को सुलभ बनाने में आपकी मदद करेगा। इस लेख से सम्बंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो कमेंट में लिखकर जरूर बताएं। लेख अच्छा लगा हो, तो इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए दोस्तों में जरूर शेयर करें।

N Mandal

N Mandal, Gam Ghar News He is the founder and editor of , and also writes on any beat be it entertainment, business, politics and sports.

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