सच कहते है क्यों बिहार में शिक्षा पिछड़ा हुआ है क्योंकि वहां पढ़ाई का उच्च स्तरीय संस्थान नहीं है, और जो है भी तो वहां बच्चे ही नहीं है। यहां की शिक्षा कुछ इस प्रकार है कि बच्चों को सही ढंग से हिंदी उच्चारण करना नहीं आता है। विद्यालय है लेकिन शिक्षक नहीं, इस परिस्थिति में तो विद्यालय का बचना ही मुश्किल है।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण दिए गए चित्र में दिखाया गया है जो बिहार के समस्तीपुर जिला, प्रखंड विभूतिपुर स्थित खोकसाहा का है। यह विद्यालय सिर्फ नाम का रह गया इसकी हालत तो ऐसी है कि लगता है अंग्रेज के जमाने में बना हो या एक वृद्ध महिला जिसकी उम्र 100 के पार चली गई हो वैसा नज़ारा कुछ इसका है। जब भी कोई सरकार बनती है तो कभी ये मुद्दा नहीं उठाती है कि शिक्षा संस्थान को सुधार करेंगे और बच्चों को जागरूक करेंगे, बस सिर्फ उनका फंडा होता है वोट मिल जाए जीत जाए और राज करे खासकर की बिहार तो इन सब मामलों में आगे ही है। बिहार ही बदनाम क्यों होता है क्योंकि यहां की व्यवस्था शासन अच्छी है ही नहीं अगर होती तो आज ऐसा देखने को नहीं मिलता। चलिए लेकिन अब बिहार के सरकार से यही निवेदन है कि शिक्षा के प्रति जागरूक करें।