Patna : बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ‘Rajendra Arlekar’ ने आरजेडी ‘RJD’ के आईटी सेल के कार्रवाई की मांग की है। राजभवन के प्रधान सचिव ने साइबर क्राइम के मामलों के बढ़ते आंकड़ों के चलते इस पर गंभीरता से ध्यान देने की अपील की है। उन्होंने राज्य के एडीजी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इसके परिणामस्वरूप, साइबर सेल ने तत्काल जाँच आरंभ कर दी है।
क्यों भड़के राज्यपाल?
राज्यपाल की भड़कने का कारण नीतेश कार्तिकेन नामक व्यक्ति के X सोशल मीडिया पोस्ट है, जिसमें उन्होंने राजभवन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वह खुद को राजद के आईटी सेल का प्रमुख और लालूवादी बता रहे हैं। उनकी पोस्ट में राजभवन में ईवीएम हैकर्स रूके हुए हैं । नीतीश कार्तिकेन ने पोस्ट किया है…
“भारत के गृह मंत्री के इशारों पर बिहार के राज्य भवन में दो EVM हैकर को रोका गया है, जिनके नाम पी कश्यप और डॉ. एमके हैं। ये दोनों व्यक्ति राज्य भवन में ठहरे हुए हैं, जो कि गृह मंत्री के निर्देशों पर हुआ है। बिहार के मुख्यमंत्री ही यहां के गृह मंत्री हैं, अब ऐसे में नीतीश कुमार जी को जवाब देना चाहिए कि राज्य भवन में ये दोनों संदिग्ध व्यक्ति किस हैसियत से ठहरा हुआ है । क्या ये कोई आईएएस है या कोई विभाग का अधिकारी है, इसका जवाब मुख्यमंत्री देंगे या चुनाव आयोग देगा ? मिली सूचना के अनुसार ये दोनों व्यक्ति ईवीएम मशीनों की हैकिंग का विशेषज्ञ है।01 June को पटना के नजदीक तीन लोक सभा पाटलिपुत्र, पटना साहिब और नालंदा लोक सभा में वोटिंग होनी है, ऐसे में कैसे कोई संदिग्ध व्यक्ति राज्य भवन में ठहर सकता है?”
राज्यपाल के प्रधान सचिव द्वारा ईओयू को लिखे गए पत्र में नीतेश कार्तिकेन की पोस्ट को बेहद नकारात्मक माना गया है। पत्र में इस पोस्ट की बातों को असत्य और भ्रामक घोषित किया गया है, जो केंद्र और राज्य सरकार के साथ साथ बिहार के राज भवन की निंदा करने की नीयत से लिखी गई हैं। यह उचित है कि सरकारी संस्थानों की गरिमा को बचाने के लिए ऐसे तरह की असत्य और भ्रामक जानकारियों का खंडन किया जाए।
राजभवन ने जारी किया है कि नीतेश कार्तिकेन की पोस्ट वर्तमान में चल रहे लोकसभा आम निर्वाचन की प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर आम जनता में संदेह उत्पन्न कर रही है। इसके परिणामस्वरूप, लोकतंत्र के हित में नहीं है। इस पोस्ट ने आम जनता में क्षोभ और वैमनस्यता का आभास किया है, जो समाज में अशांति फैलाने का प्रयास है। यह एक आपराधिक मामला है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। राजभवन ने ईओयू से नीतेश कार्तिकेन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि इस प्रकार की असहमति और अस्थिरता को दूर किया जा सके।
”ईओयू ने शुरू की जांच”
राजभवन के पत्र के बाद, ईओयू ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। जांच एजेंसी ने साइबर सेल को मामले का जाँच कार्य सौंपा है। एफआईआर भी दर्ज कर आगे की कार्रवाई होगी। यह मामला गंभीर है और संबंधित अधिकारियों द्वारा उचित जाँच और कार्रवाई की जानी चाहिए।