Patna : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे, निशांत कुमार, की राजनीति में एंट्री की चर्चा फिर से तेज हो गई है। हालांकि निशांत ने अब तक स्वयं को राजनीति से दूर रखा है। लेकिन उनके पिता के पार्टी, जेडीयू, के महासचिव, परम हंस कुमार ने निशांत को सक्रिय राजनीति में आने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह मांग सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं की भी है। निशांत की राजनीति में एंट्री की इस मांग के पीछे उनकी पिता की सशक्त समर्थन और उनके राजनीतिक वार्तालापों की भूमिका है। पार्टी के उच्चाधिकारियों के इस आग्रह के बाद, निशांत को राजनीति में प्रवेश करने की संभावना बढ़ गई है। यह निशांत के लिए नई चुनौती होगी, जहां उन्हें पार्टी की उम्मीदों को पूरा करने के लिए अपने पिता की सामर्थ्यवान सहायता और अपनी खुद की पहचान को बनाए रखने की जरूरत होगी।
जनता दल यूनाइटेड के महासचिव परम हंस कुमार ने स्पष्टतः उज्जवल किया है कि पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे, निशांत कुमार, को राजनीति में आना चाहिए। उन्होंने व्यक्त किया कि निशांत एक बेहद शांत और दूरदर्शिता रखने वाले व्यक्ति हैं, जिनके प्रेरणास्त्रोत से हम सभी प्रेरित हो सकते हैं। उनके जैसे युवा नेता की आवश्यकता हमारे समय और परिस्थितियों में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हंस कुमार ने स्पष्ट किया कि वर्तमान समय और परिस्थितियाँ निशांत कुमार को राजनीतिक मंच पर उतारने के लिए समर्थ कर रही हैं। वे निशांत के शांत और समझदार व्यक्तित्व को प्रशंसा करते हैं और मानते हैं कि वे पार्टी और राज्य के हित में योगदान कर सकते हैं।
निशांत कुमार के राजनीति में आने के इस प्रस्ताव के पीछे पार्टी के लोकतंत्री और विकास की प्रेरणा है। इससे पार्टी की विभिन्न वर्गों और जनता के बीच नया उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ेगा। निशांत कुमार के इस सामर्थ्यवान नेतृत्व में पार्टी और राज्य के विकास की दिशा में नए दिशानिर्देश मिलेंगे। जेडीयू महासचिव ने परिवारवाद के खिलाफ खड़े रहने के संकेत दिए हैं, कहते हुए कि नीतीश कुमार ने अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में नहीं लाने पर जोर दिया था। इस बयान से स्पष्ट होता है कि पारिवारिक राजनीति के खिलाफ नीतीश कुमार का स्थान है।
उन्होंने आगे कहा कि यदि कोई साफ छवि वाले नेता का बेटा राजनीति में आना चाहता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब एक नेता ईमानदारी से देश और राज्य की सेवा करने का इरादा रखता है, तो उसके परिवार के सदस्यों का भी उसी मार्ग पर चलना स्वाभाविक है।
इस बयान से जेडीयू महासचिव ने स्पष्टता दी है कि वे पारिवारिक राजनीति के खिलाफ हैं, लेकिन साथ ही साफ और ईमानदार नेतृत्व को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनके बयान से यह संदेश मिलता है कि नेता के परिवार का होना या न होना उसकी नेतृत्व क्षमता और नीतियों पर निर्भर करता है, न कि उसके परिवार के प्रति सामर्थ्य।
परम हंस ने आगे कहा कि निशांत कुमार को चमकधमक की जिंदगी पसंद नहीं है। वह बिहार के लोगों की बहुत अच्छी तरह से सेवा कर सकते हैं,। जेडीयू महासचिव ने दावा किया कि यह सिर्फ उनकी नहीं बल्कि पार्टी और राज्य के एक बड़े वर्ग की मांग है। मांग का मतलब यह नहीं है कि पार्टी कमजोर हो गई है, बल्कि यह मांग पार्टी को मजबूत बनाने के लिए है। पार्टी और राज्य की भलाई के लिए राजनीति में उन्हें प्रवेश करना चाहिए।
जेडयू महासचिव ने नीतीश कुमार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की अटकलों पर कोई टिप्पणी नहीं की। उनकी एकमात्र मांग है कि निशांत कुमार को पार्टी और राज्य के लिए राजनीति में शामिल हों। कल, यानी सोमवार को, चुनाव नतीजों से पहले, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात में लगभग 25 मिनट तक चर्चा हुई, जिसमें कई अहम मुद्दों पर वार्ता हुई।
सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात में नए मंत्रालय का गठन की संभावना पर चर्चा हुई। केंद्र में नए मंत्रालय का गठन होने की संभावना है, इसलिए मंत्रिमंडल में जेडीयू के प्रतिनिधित्व पर संभावित चर्चा के लिए दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई हो सकती है। इस मुलाकात के बाद, राजनीतिक गतिशीलता में एक नई दिशा का संकेत मिलता है, जो कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग और संवाद को बढ़ावा देता है। यह मुलाकात भविष्य में केंद्र और राज्यों के बीच साझेदारी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।