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Electoral bonds: BJP को सबसे ज्यादा 6000 करोड़ का चंदा

किसने किसको दिया पता नहीं, चुनाव आयोग ने 763 पेजों की 2 लिस्ट अपलोड कीं

Election Commission : चुनाव आयोग ने गुरुवार (14 मार्च) को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया। इसके मुताबिक भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है। 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं। आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने या कांटा भी दूर कर दिया और कह दिया कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को यूनिक नंबर देना होगा तो अब इसी के साथ किसका पैसा किसे मिला सब साबित हो जाएगा और आपको बहुत कुछ जानने का मौका मिलेगा यह बहुत बड़ा फैसला है।

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने मार्च 2018 से मार्च 2019 के बीच का डाटा नहीं दिया है क्योंकि इस बारे में कोर्ट का आदेश नहीं था। यह कहा है यह करीब ढाई हजार करोड़ का मामला है। जो आंकड़े दिए गए हैं वह केवल 1 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच के हैं। 12516 करोड रुपए के बंद इस दौरान खरीदे गए इसमें से 6000 करोड़ से भी अधिक की राशि । सबसे ज्यादा चंदा बीजेपी (BJP) को मिला है और उसी का बड़ा हिस्सा दिख रहा है उसके बाद तृणमूल कांग्रेस (All India Trinamool Congress) है और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) है। सबसे अधिक बॉन्ड खरीदने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग (Future Gaming) है।

सुप्रीम कोर्ट (एससी) (Supreme Court)  ने शुक्रवार को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के वेबसाइट पर अपलोड किए जाने वाले डेटा को वापस करने के अनुरोध को अनुमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसबीआई (SBI) ने चुनावी बांड की संख्या का खुलासा नहीं किया, एक ऐसी योजना जो व्यक्तियों और व्यवसायों को राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप से दान करने की अनुमति देती है।

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सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ (CJI D Y Chandrachud)  की अगुवाई वाली 5-जे पीठ, जिसमें यूके एससी के तीन और न्यायाधीश भी शामिल थे, ने कहा कि वे एसबीआई द्वारा चुनाव आयोग को चुनावी बांड का पूरा विवरण नहीं देने पर आपत्ति जताते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके फैसले और आदेश में स्पष्ट था कि बैंक को सभी ईबी विवरण 12 मार्च तक चुनाव आयोग को जमा करने थे। एसबीआई ने समय सीमा तक बांड पर अद्वितीय संख्या के बिना विवरण दिया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार न्यायिक यह सुनिश्चित करेंगे कि दस्तावेजों को स्कैन और डिजिटलीकृत किया जाए और एक बार प्रक्रिया पूरी होने के बाद, मूल दस्तावेज ईसीआई को वापस दे दिए जाएंगे जो इसे 17 मार्च को या उससे पहले वेबसाइट पर अपलोड करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई सोमवार को तय की, ताकि बैंक यह सुन सके कि उसने ईसी को ईबी पर अल्फा न्यूमेरिक नंबर क्यों नहीं दिए, जबकि कोर्ट ने ईबी से संबंधित सभी विवरण प्रकट करने का निर्देश दिया था।

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Gaam Ghar News Desk

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