ग़ज़ल
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वेवलाइन साहित्य श्रृंखला मे मैथिली साहित्यकार मुख्तार आलम ने किया कविता पाठ
सहरसा : साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा शुक्रवार को वेबलाइन साहित्य श्रृंखला में जिले के सिटानाबाद निवासी मैथिली साहित्यकार मो…
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हस्र पर मेरे मुंसिफ भी लाचार थे – अशोक ‘अश्क’
जुर्म कोई नहीं पर गुनहगार थे हस्र पर मेरे मुंसिफ भी लाचार थे बेख़बर खोई थी वो चकाचौंध में बोलियाँ…
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शम’अ बनकर तेरे पहलू में पिघल कर देखें – कविता सिंह “वफ़ा”
शम’अ बन कर तेरे पहलू में पिघल कर देखें ! कितनी आतिश है तेरे प्यार में जल कर देखें !!…
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ये वक्त ले गया गले से हार खींच कर – ग़ज़ाला तबस्सुम
वो दोस्ती की जां से हरिक तार खींच कर मेरा यक़ीन ले गया ग़द्दार खींच कर। दिन मोतियों से हाथ…
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ख़ुद मुझे अपनी कहानी से जुदा होना पड़ा – दीपशिखा ‘सागर’
लफ्ज़ ए उल्फ़त के मआनी से जुदा होना पड़ा, मिसरा ए ऊला को सानी से जुदा होना पड़ा। तितलियाँ हँस…
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