पटना : बिहार की राजधानी पटना जिले से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें नौबतपुर नगर पंचायत के तहत फर्जी झुग्गी बस्ती (स्लम) दिखाकर केंद्र सरकार से समेकित आवास एवं स्लम विकास कार्यक्रम (IHSDP) के तहत 49 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत करवा ली गई। खास बात यह है कि जिस स्थान पर यह योजना दिखाकर राशि ली गई, वहां वास्तव में कोई भी स्लम क्षेत्र अस्तित्व में नहीं है। अब इस मामले में निगरानी थाना ने गंभीर आर्थिक अनियमितता को लेकर मुकदमा दर्ज किया है।
2012 से 2014 के बीच हुआ घोटाला
यह कथित घोटाला 2012 से 2014 के बीच हुआ बताया जा रहा है। शिकायत में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान नौबतपुर नगर पंचायत ने फर्जी दस्तावेज बनाकर और ग़लत जानकारी प्रस्तुत कर केंद्र सरकार को यह विश्वास दिलाया कि क्षेत्र में झुग्गी बस्तियां मौजूद हैं और यहां के निवासियों को आवासीय सुविधा की जरूरत है। इस आधार पर 49 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि स्वीकृत हुई।
हालांकि, शिकायतकर्ता का दावा है कि नौबतपुर में वास्तव में कोई स्लम बस्ती मौजूद ही नहीं है, और यह पूरा मामला कागजों पर तैयार किया गया था। इस पूरे फर्जीवाड़े का मकसद योजना के तहत मिलने वाली राशि को गलत तरीके से हासिल करना था।
अपात्र लोगों में बांटी गई राशि
मामले में यह भी सामने आया है कि स्वीकृत 49 करोड़ की राशि को उन लोगों में बांट दिया गया जो इसके लिए पात्र नहीं थे। इसमें सरकारी कर्मचारियों, संपन्न परिवारों और यहां तक कि अन्य जिलों के बाहरी लोगों को भी शामिल किया गया। कुछ लाभार्थियों को तो पहले से ही इंदिरा आवास योजना का लाभ मिल चुका था। फिर भी उन्हें दोबारा लाभ दे दिया गया, जो पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध है।
इन सबके बीच यह भी बताया जा रहा है कि अब तक इस योजना की कुल राशि में से लगभग 3.5 करोड़ रुपये का गबन हो चुका है। यह राशि कहां गई और किसके खाते में गई, इसकी अभी जांच जारी है।
निगरानी थाने में केस दर्ज, पहले भी हुई थी कार्रवाई
नौबतपुर निवासी दो लोगों की शिकायत पर 8 मई को निगरानी थाना में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि यह घोटाला पूर्व नियोजित तरीके से किया गया था और इसमें कई अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि संलिप्त थे। गौरतलब है कि इस मामले को लेकर वर्ष 2018 में भी एक केस हुआ था, जिसमें तीन लोगों को जेल भेजा गया था।
अब एक बार फिर इस मामले की परतें खुलनी शुरू हो गई हैं और निगरानी विभाग ने नए सिरे से जांच शुरू कर दी है।
तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष ने बताया साजिश
इस पूरे मामले में नौबतपुर नगर पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष कौशल कौशिक भी आरोपी बनाए गए हैं। हालांकि, उन्होंने सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि नौबतपुर नगर पंचायत में चुनाव नजदीक हैं, और उन्हें जानबूझकर फंसाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाकर पूरी प्रक्रिया नगर विकास एवं आवास विभाग को भेजी गई थी, और उसके बाद केंद्र सरकार से राशि स्वीकृत हुई। ऐसे में फर्जीवाड़े का आरोप निराधार है।
अब जांच में जुटी निगरानी टीम
वर्तमान में निगरानी विभाग की टीम मामले की बारीकी से जांच में जुटी हुई है। यह देखा जा रहा है कि किन-किन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से यह राशि स्वीकृत हुई और वितरित की गई। इस घोटाले में कई नए चेहरे सामने आने की संभावना है।