Poetry
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कविता
Poetry; शायद तुम ही हो
नदियों की कलकल में तुम हो सागर की छल छल में तुम हो, देख रही हूं लहर लहर के– यौवन…
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Digital
नज़्म; फिर ना आओ तो कोई गम नही
आ जाओ मेरे पहलू में, आखरी बार ! फिर ना आओ तो कोई गम नहीं । समेट लूँ तेरे गजरे…
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