आ जाओ मेरे पहलू में,
आखरी बार !
फिर ना आओ तो कोई गम नहीं ।
समेट लूँ तेरे गजरे की खुशबू
अपने साँसों में,
फिर ना आओ तो कोई गम नहीं ।
तमाम उम्र महकती रहेगी मेरी साँसें,
तेरी गेसुओं की खुशबू से !
मैं मदहोश रहूँगा,
तेरी ही मृगतृष्णा में,
फिर ना आओ तो कोई गम नही