बिहार में समलैंगिक संबंधों को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। इसकी वजह बने हैं पत्रकार कन्हैया भेलारी, जिन्होंने हाल ही में इंडिया टूडे के यूट्यूब चैनल ‘लल्लनटॉप’ पर दिए गए एक बयान में LGBT समुदाय पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “लड़का लड़के से और लड़की लड़की से शादी करने लगे हैं, और यही वजह है कि भूकंप आता है।” उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और आलोचना का केंद्र बन गया है।
भूकंप और समलैंगिकता को जोड़ने वाला बयान
इंटरव्यू के दौरान एंकर सौरभ द्विवेदी ने उनसे सवाल किया कि अगर दो लोग आपसी सहमति से समलैंगिक संबंध रखते हैं और सुप्रीम कोर्ट इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर चुका है, तो इसमें समस्या क्या है? इस पर भेलारी ने विवादित जवाब देते हुए कहा—“इसीलिए भूकंप आता है।”
जब एंकर ने भूकंप के वैज्ञानिक कारणों की व्याख्या की और बताया कि भूगर्भीय हलचलों से भूकंप आता है, तो भेलारी ने इसे खारिज करते हुए कहा—“इसका कोई मतलब है जी। एडवांस होने का मतलब यह नहीं कि आदमी-आदमी से, औरत-औरत से संबंध बनाए।”
उनके इस जवाब ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी। वैज्ञानिक तथ्यों को नकारते हुए LGBT समुदाय को प्राकृतिक आपदाओं से जोड़ने की आलोचना व्यापक स्तर पर की जा रही है।
पहले भी रहे विवादों में
यह पहली बार नहीं है जब कन्हैया भेलारी किसी बयान को लेकर सुर्खियों में आए हों। इससे पहले उन्होंने एबीपी न्यूज के एक डिबेट में कहा था कि “शादीशुदा बेटियों को मायके में कम रहना चाहिए, यहाँ कुंडली मारकर नहीं बैठना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा था कि बेटियों को पिता के परिवार के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। इस बयान के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने उन्हें फोन पर जमकर फटकार लगाई थी। रोहिणी ने बातचीत का वीडियो साझा करते हुए सवाल उठाया था—“किडनी देने के लिए बेटी ठीक है, लेकिन मायके में अधिकार नहीं है?”
कन्हैया भेलारी का नया बयान भी उसी तरह जनता का ध्यान खींच रहा है और कई लोग इसे रूढ़िवादी व वैज्ञानिक तथ्यों के उलट बता रहे हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर पत्रकारों, राजनीतिक नेताओं और आम लोगों ने इस बयान की आलोचना की है। लोग इसे अंधविश्वास फैलाने और समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने वाला बयान बता रहे हैं।
वहीं कई उपयोगकर्ता इसे एक बार फिर “भेलारी का विवादित तीर” कह रहे हैं, जो तथ्यों की जगह निजी मान्यताओं पर आधारित है।
कुल मिलाकर, कन्हैया भेलारी का यह बयान बिहार से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक चर्चा का विषय बन चुका है और समलैंगिकता पर सामाजिक दृष्टिकोण तथा वैज्ञानिक समझ के बीच नए सिरे से बहस छिड़ गई है।




