पटना : बिहार के समस्तीपुर जिले से आने वाले एन. मंडल उन्हीं नामों में से एक हैं। एक साधारण परिवार से निकलकर अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले इस जनसेवक की सक्रियता ने बिहार की राजनीतिक फिज़ा में हलचल मचा दी है। अब चर्चाएं तेज़ हैं कि क्या एन. मंडल 2025 में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे?
साधारण पृष्ठभूमि से असाधारण सफर
एन. मंडल का जन्म बिहार के एक मजदूर परिवार में हुआ। सीमित संसाधनों में पले-बढ़े एन. मंडल ने अपनी मेहनत, लगन और दूरदृष्टि से न केवल मैथिली भाषा और संस्कृति को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहचान दिलाई, बल्कि हजारों लोगों के हक और अधिकार की आवाज़ भी बने।
वे हमेशा कहते हैं – “राजनीति सत्ता के लिए नहीं, सेवा के लिए होनी चाहिए।” यही विचार उन्हें भीड़ से अलग करता है।
सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान
एन. मंडल ने ग्लोबल गांधी पीस अवार्ड, मिथिला विभूति सम्मान, वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, जैसे कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम किए हैं। उन्होंने छठ पूजा, महिला सशक्तिकरण, स्वच्छता, जल संकट जैसे गंभीर मुद्दों पर लोकप्रेमी सामाजिक फिल्में बनाईं, जो आम जनता के बीच जनजागरूकता का माध्यम बनीं।
उनका सृजन केवल मनोरंजन नहीं, सामाजिक चेतना का औज़ार बन गया है। उनके माध्यम से युवा वर्ग भी समाजसेवा और संस्कृति से जुड़ने लगा है।
ज़मीनी मुद्दों पर सीधी लड़ाई
एन. मंडल ने केवल रचनात्मक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि RTI, जनसुनवाई और मीडिया के ज़रिए वे सीधे विधायक निधि घोटाले, सड़क निर्माण में अनियमितता, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, शिक्षा में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर मोर्चा खोलते रहे हैं।
उनकी लड़ाई फाइलों में नहीं, फील्ड में भी दिखती है। वे समाधान खोजते हैं, न कि केवल भाषणों में समस्याओं की चर्चा करते हैं।
राजनीति का नया विजन
एन. मंडल की राजनीतिक शैली संवाद आधारित, युवा केंद्रित और टेक्नोलॉजी समर्थित है। वे एक कुशल रणनीतिकार, प्रभावी वक्ता और मीडिया-सजग जनसेवक हैं। आज की राजनीति में जहां सोशल मीडिया, जनसंपर्क और ग्राउंड लेवल कैम्पेनिंग निर्णायक भूमिका निभाते हैं, एन. मंडल इन सभी मोर्चों पर पूरी तरह सक्षम हैं।
वे कहते हैं — “मैं टिकट के लिए नहीं, ज़िम्मेदारी के लिए तैयार हूं।” यही बात उन्हें उन नेताओं से अलग बनाती है जो केवल भीड़ के दम पर राजनीति करते हैं।
अतिपिछड़ा वर्ग की सशक्त आवाज़
बिहार की राजनीति में “अतिपिछड़ा प्रमोट नीति” एक महत्वपूर्ण सामाजिक समीकरण बन चुका है। एन. मंडल उस वर्ग से आते हैं जो दशकों तक हाशिये पर रहा। उनके नेतृत्व से पार्टी को सामाजिक न्याय की सोच को मजबूत आधार मिलेगा और पार्टी का अतिपिछड़े समाज में जनाधार और मजबूत होगा।
वे राजनीति में सामाजिक भागीदारी, प्रतिनिधित्व और बदलाव की त्रिवेणी को लेकर चल रहे हैं।
मिथिला से सीमांचल तक पकड़
एन. मंडल केवल समस्तीपुर तक सीमित नहीं हैं। वे मिथिला जागरण यात्रा, जिला गान, सांस्कृतिक आंदोलन जैसे अभियानों के जरिए मिथिला से लेकर सीमांचल तक एक संगठित जनमत तैयार कर चुके हैं।
उनकी हर गतिविधि में “मिट्टी की गंध और बदलाव की उम्मीद” महसूस होती है।
राजनीतिक पार्टी के लिए सबसे उपयुक्त चेहरा?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर एन. मंडल को 2025 विधानसभा चुनाव में टिकट मिलता है, तो वे पार्टी के लिए सोशल मीडिया से लेकर बूथ स्तर तक एक मजबूत और विश्वसनीय चेहरा साबित हो सकते हैं।
वे जमीनी कार्यकर्ताओं से संवाद रखते हैं, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हैं और युवाओं में एक उम्मीद का चेहरा बन चुके हैं।
एन. मंडल का उभार बिहार की राजनीति में एक सकारात्मक, उद्देश्यपरक और जनता-जुड़ी हुई राजनीति की तरफ संकेत करता है। उनका जीवन संघर्ष, सामाजिक योगदान और नेतृत्व क्षमता उन्हें राजनीति में केवल एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि जनआंदोलन का वाहक बनाता है।
अगर उन्हें पार्टी की तरफ से मौका मिलता है, तो वे यह साबित कर सकते हैं कि आज भी राजनीति में सिद्धांत, सेवा और सृजन की गुंजाइश बची है।