Patna : बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन आरक्षण की सीमा को लेकर सदन में जोरदार बहस हुई। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और मंत्री विजय चौधरी के बीच आरक्षण पर तीखे तर्क-वितर्क देखने को मिले। तेजस्वी यादव ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने और इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई।
तेजस्वी की मांग: आरक्षण सीमा बढ़ाई जाए
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी चिंता केवल यह है कि आरक्षित जातियों को पूरा लाभ मिले। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आरक्षण के मुद्दे पर गंभीर नहीं है और इस पर स्पष्ट निर्णय नहीं ले रही। तेजस्वी ने कहा, “हमने मांग की थी कि आरक्षण की सीमा को बढ़ाने के लिए एक कमेटी बनाई जाए। कोर्ट ने अगर आरक्षण के मामले को निरस्त किया है, तो सरकार को तुरंत इस पर समीक्षा करनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट में एक नया आरक्षण विधेयक लाया जाए, जिसमें आरक्षण की सीमा 85 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रावधान हो। साथ ही, इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी जाए।
नीतीश पर हमला
तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वे उनके साथ थे, तब उन्होंने आरक्षण के समर्थन में कदम उठाए। लेकिन अब बीजेपी के साथ होने के कारण वे इस मुद्दे पर चुप हैं। उन्होंने सरकार पर कोर्ट का हवाला देकर आरक्षण के मुद्दे को टालने का आरोप लगाया।
विजय चौधरी का जवाब
मंत्री विजय चौधरी ने तेजस्वी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि जातीय गणना का निर्णय नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने लिया था, और उस समय आरजेडी ने भी इसका समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि फिलहाल बिहार में आरक्षण बहाली पुराने नियमों के तहत हो रही है।
विजय चौधरी ने कहा, “हमारी सरकार चाहती है कि आरक्षण की सीमा 9वीं अनुसूची में शामिल हो। जो भी इसका समर्थन करेगा, सरकार उसका धन्यवाद करती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ही हम आगे की कार्रवाई करेंगे।”
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का पलटवार
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने तेजस्वी यादव पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उनके माता-पिता (लालू प्रसाद और राबड़ी देवी) ने 15 साल तक राज्य में शासन किया, लेकिन किसी को आरक्षण का लाभ नहीं मिला। उन्होंने कहा, *“आप लोग आरक्षण की सीमा को मजाक बना रहे हैं। 2006 में जब एनडीए सरकार आई, तभी लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हुआ। सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है और सरकार कोर्ट के निर्देशानुसार ही कार्य करेगी।”
सम्राट चौधरी ने तेजस्वी पर संविधान दिवस के दिन कोर्ट के खिलाफ बयान देने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह गलत है।
आरक्षण पर बढ़ी सियासी गर्मी
सत्र के दौरान आरक्षण का मुद्दा पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुका है। जहां तेजस्वी यादव सरकार पर आरक्षण को बढ़ाने और इसे 9वीं अनुसूची में शामिल करने में विफल रहने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं सम्राट चौधरी और विजय चौधरी इसे सुप्रीम कोर्ट का मामला बताकर कोर्ट के निर्देशों का पालन करने की बात कह रहे हैं।
सदन के बाहर भी हंगामा
सत्र के बाद तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आरक्षण पर कमेटी बनाने और इसे बढ़ाने की उनकी मांग पर सरकार चुप है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब आरजेडी के साथ थे, तब वे आरक्षण के पक्षधर थे, लेकिन अब बीजेपी के साथ होने के कारण उन्होंने इस पर चुप्पी साध ली है।
क्या है आगे की राह?
आरक्षण पर यह बहस सुप्रीम कोर्ट के फैसले और सरकार की अगली कार्रवाई पर निर्भर करती है। बिहार में जातीय गणना और आरक्षण का मुद्दा आने वाले चुनावों में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ता यह तनाव सदन के भीतर और बाहर भी राजनीतिक गर्मी बनाए रखेगा।
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