बिहार विधानसभा चुनाव के बीच नीतीश कुमार सरकार एक नई राजनीतिक विवाद में घिर गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सरकार पर मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को 10 हजार रुपये की राशि चुनावी अवधि में ट्रांसफर करने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग (EC) से शिकायत की है।
राजद सांसद मनोज झा ने शुक्रवार को आयोग को पत्र लिखकर कहा कि यह सीधा-सीधा आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) का उल्लंघन है, जो 6 अक्टूबर से राज्य में लागू है। झा ने आरोप लगाया कि सरकार ने 17, 24 और 31 अक्टूबर को लाभार्थियों के खातों में राशि ट्रांसफर की है और अगली किस्त 7 नवंबर को देने की योजना है — जो बिहार चुनाव के दूसरे चरण के मतदान से सिर्फ चार दिन पहले है।
मनोज झा ने लिखा कड़ा पत्र
मनोज झा ने अपने पत्र में लिखा,
“मैं बिहार सरकार द्वारा मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत लाभार्थियों को 10,000 रुपये की राशि का प्रत्यक्ष नकद अंतरण कर आचार संहिता के खुलेआम उल्लंघन के खिलाफ औपचारिक और कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं।”
उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम न केवल चुनावी निष्पक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि यह मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास भी प्रतीत होता है।
झा ने आगे लिखा कि “भुगतान की अगली प्रस्तावित तिथि 7 नवंबर है, जो मतदान से चार दिन पहले है। यह एक जानबूझकर किया गया कदम लगता है जिससे महिला मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके।”
“आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन”
राजद सांसद ने आरोप लगाया कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद किसी भी सरकारी योजना के तहत वित्तीय लाभों का वितरण प्रतिबंधित है। उनके अनुसार, यह कार्रवाई न केवल एमसीसी के कई प्रावधानों का उल्लंघन करती है बल्कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के संवैधानिक जनादेश को भी कमजोर करती है।
उन्होंने कहा कि यह “प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग” है और इस अवधि में सरकारी धन का वितरण चुनावी प्रक्रिया की साख और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
EC से की गई सख्त कार्रवाई की मांग
झा ने अपने पत्र में भारत निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया है कि वह इस मामले में “तत्काल और कड़ी कार्रवाई” करे। उन्होंने आयोग से इस शिकायत की लिखित पावती और आगे की कार्रवाई की जानकारी समय पर साझा करने का भी आग्रह किया।
झा ने कहा कि यदि आयोग इस पर कार्रवाई नहीं करता, तो यह एक खतरनाक उदाहरण बन जाएगा, जिससे भविष्य के चुनावों में भी सरकारें चुनाव के दौरान वित्तीय लाभ बाँटकर वोटरों को प्रभावित कर सकेंगी।
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना क्या है
बिहार सरकार ने यह योजना राज्य में महिलाओं को स्व-रोज़गार के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की थी। इसके तहत महिलाओं को 10,000 रुपये का प्रारंभिक वित्तीय अनुदान दिया जाता है ताकि वे अपना छोटा व्यवसाय या उद्यम शुरू कर सकें।
हालांकि, चुनाव की घोषणा के बाद इस योजना के तहत भुगतान जारी रखने को लेकर अब राजनीतिक बहस तेज हो गई है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस योजना का उपयोग चुनावी लाभ के लिए कर रही है।
चुनावी समीकरण पर असर
बिहार में दो चरणों में मतदान होना है — 6 और 11 नवंबर को, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी। ऐसे में मतदान से ठीक पहले इस तरह के वित्तीय ट्रांसफर ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।
विपक्ष जहां इसे “चुनावी रिश्वत” बता रहा है, वहीं सरकार के सूत्रों का कहना है कि यह एक पहले से स्वीकृत योजना है, जिसका वितरण निर्धारित समय-सारणी के अनुसार चल रहा है।
अब देखना यह होगा कि निर्वाचन आयोग इस शिकायत पर क्या रुख अपनाता है — क्या यह कार्रवाई को चुनावी उल्लंघन मानेगा या इसे नियमित सरकारी प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करेगा।




