समाचार

नीतीश कैबिनेट में जातीय समीकरण: राजपूत…..

नीतीश कैबिनेट में जातीय समीकरण: राजपूत  सबसे आगे, दलित–अति पिछड़ा–ओबीसी संतुलन पर भी खास ध्यान

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 10वीं सरकार का विस्तार हो चुका है। गुरुवार को मुख्यमंत्री, दो डिप्टी सीएम समेत कुल 27 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें भाजपा के 14, जदयू के 9, लोजपा(रा) के 2 और हम तथा रालोमो के 1-1 मंत्री शामिल हैं। यह नीतीश की 8वीं एनडीए सरकार है और इस बार भी मंत्रिमंडल गठन में जातीय संतुलन को राजनीतिक रणनीति के केंद्र में रखा गया है।

राजपूत सबसे आगे—4 मंत्रियों के साथ शीर्ष पर

नीतीश कैबिनेट की जातीय संरचना पर नज़र डालें तो ठाकुर समाज एक बार फिर सबसे आगे दिखता है। कुल 4 राजपूत नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। पिछली बार भी 5 राजपूत मंत्री शामिल थे। भाजपा और जदयू, दोनों दलों ने इस पारंपरिक सशक्त वोटबैंक को साधने में कोई कमी नहीं छोड़ी है।

दलित समाज को 5 मंत्री—लेकिन सबसे आगे ‘दुसाध’

दलित वर्ग से कुल 5 मंत्रियों को जगह दी गई है। इनमें जाति के स्तर पर सबसे बड़ी हिस्सेदारी दुसाध (पासवान) समाज को मिली है, जिसके 2 मंत्री बनाए गए हैं। इसके अलावा 1-1 मंत्री मुसहर, रविदास और पासी समुदाय से हैं। लोजपा(रा) प्रमुख चिराग पासवान की बढ़ती राजनीतिक पकड़ का सीधा असर दलित प्रतिनिधित्व पर दिख रहा है।

ओबीसी और अति पिछड़ा वर्ग में बराबर भागीदारी

नीतीश सरकार ने इस बार अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की राजनीति को संतुलित रखने की कोशिश की है।

यह भी पढ़ें  तेजस्वी के कार्यकाल में पथ निर्माण विभाग में 26 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप

कोइरी/कुशवाहा – 2 मंत्री
धानुक – 1 मंत्री
कुर्मी -1 मंत्री 
भूमिहार – 2 मंत्री
यादव – 2 मंत्री
निषाद – 2 मंत्री
दुसाध – 2 मंत्री (दलित श्रेणी में)

उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर अपने समुदाय ‘कोइरी’ को मजबूत प्रतिनिधित्व दिलाया है। वहीं नीतीश कुमार ने अपने पारंपरिक कोर बेस कुर्मी में भी 1 मंत्री शामिल करके संतुलन बनाए रखा।

यह भी पढ़ें  एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम हुए कम

अन्य जातियों को भी मिली न्यूनतम हिस्सेदारी

1-1 मंत्री के साथ कई जातियों को कैबिनेट में प्रतीकात्मक लेकिन महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इनमें—

धानुक, कुर्मी, ब्राह्मण, रविदास, मुसहर, पासी, कलवार, कायस्थ, सूड़ी, तेली, कानू

जदयू कोटे से जमा खान इस बार भी मंत्री बनाए गए हैं, जो मंत्रिमंडल में मुस्लिम समुदाय की एकमात्र उपस्थिति हैं। इससे यह स्पष्ट है कि नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व को भी पूरी तरह खाली नहीं छोड़ा।

नेताओं के बेटे भी बने मंत्री—मैसेज साफ

इस बार राजनीति में वंशवाद का भी असर दिखा।

  • जीतन राम मांझी ने अपने बेटे संतोष मांझी को
  • उपेंद्र कुशवाहा ने अभिषेक कुशवाहा को
    मंत्री पद दिलाने में सफलता पाई।

दोनों नेताओं ने इसे अपने समुदाय के “युवा नेतृत्व” को बढ़ाने का कदम बताया, लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक विरासत बचाने की कोशिश मान रहा है।

यह भी पढ़ें  बिहार की 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान...

नीतीश–अमित शाह–चिराग का समीकरण

मंत्रिमंडल की जाति संरचना से यह स्पष्ट होता है कि यह संयोजन 2029 तक की राजनीति को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

  • नीतीश कुमार ने EBC–OBC–दलित संतुलन साधा
  • अमित शाह ने भाजपा के परंपरागत अपर कास्ट को मजबूत किया
  • चिराग पासवान ने दलित–दुसाध नेतृत्व को फिर उभार दिया

कुल मिलाकर…

नीतीश कुमार की 10वीं सरकार में जातीय संतुलन को बेहद सावधानी से गढ़ा गया है। राजपूतों की सबसे अधिक हिस्सेदारी, दलितों में दुसाध का उभार, ओबीसी–EBC की समान भागीदारी और अल्पसंख्यक समुदाय की सीमित उपस्थिति—यह सब संकेत देता है कि आने वाले वर्षों में एनडीए बिहार में व्यापक सामाजिक समीकरण के साथ अपना जनाधार और मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहा है।

Gaam Ghar Desk

गाम घर डेस्क के साथ भारत और दुनिया भर से नवीनतम ब्रेकिंग न्यूज़ और विकास पर नज़र रखें। राजनीति, एंटरटेनमेंट और नीतियों से लेकर अर्थव्यवस्था और पर्यावरण तक, स्थानीय मुद्दों से लेकर राष्ट्रीय घटनाओं और वैश्विक मामलों तक, हमने आपको कवर किया है। Follow the latest breaking news and developments from India and around the world with 'Gaam Ghar' news desk. From politics , entertainment and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button