Business : सफलता का सफर धैर्य, साहस और कठिन मेहनत से भरा होता है। धीरूबाई अंबानी ने सही में कहा है कि “जो लोग सपने देखने की हिम्मत रखते हैं, उनके लिए जीतने के लिए पूरी दुनिया है।” सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें हासिल करने के लिए अपने अंदर की ऊर्जा को जगाना होता है। स्टार्टअप के क्षेत्र में अनगिनत कहानियाँ हैं जो युवाओं को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करती हैं। भारत में, हमने देखा है कि पिछले दस वर्षों में स्टार्टअप और यूनिकॉर्न कैसे बढ़े हैं। देश में पिछले कुछ वर्षों में स्टार्टअप की संख्या दस गुना बढ़ गई है। भारत में ऐसे कई उद्यमियों की कहानियाँ हैं जिन्होंने अपने सपने को पूरा करने की हिम्मत की और दिवालिया से करोड़पति बन गए। रंजीत ठाकुर की कहानी आने वाले उद्यमियों के लिए उम्मीद की किरण है।
रंजीत ठाकुर (Ranjit Thakur) की सफलता की कहानी
बिहार के समस्तीपुर जिले के फुलहारा गांव में जन्मे रंजीत ठाकुर ने अलग अलग नौकरिया कि कपड़े दुकान, गैस एजेंसी तो कभी पेट्रोल पम्प पर गाड़ी में पेट्रोल भरने के रूप में काम किया। ठाकुर अब किसान के उत्पाद का प्रोडक्ट बनाया ”फुलहारा किसान बाज़ार (Phulhara Kishan Bazar)” के संस्थापक और सीईओ हैं। उन्होंने कक्षा 10 तक पढ़ाई की थी और अपने वित्तीय खर्चों को पूरा करने के लिए परदेश जा कर नौकरिया कि । 1995 में, ठाकुर कोलकाता चले गए और अलग अलग नौकरिया कि । उन्होंने गुजारा करने के लिए कपडा दुकान से लेकर पेट्रोल पंप पर भी काम किया।
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हालाँकि, 2020 में कोविद के समय गावं आना पड़ा क्युकी काम बंद हो चूका था कोविद के कारण, करोना का लहर जब कम हुआ तो उन्होंने मालिक को फोन किया मालिक ने आने से माना किया क्युकी मालिक का भी काम सही से चालू नहीं हुआ था, इस तरह उन्होंने एक साल और बित गया जिससे उनकी माली हालत ख़राब हो गई तो उन्होंने चना लाकर सत्तू बनया फिर मसाला उसके बाद उन्होंने विशेष क्षेत्रों में मसाला सतु की उपलब्धता पर शोध करना शुरू किया। आज ये ठाकुर सतु (Thakur Sattu) और ठाकुर मसाला (Thakur Mashala) में नाम से बाजार में मिलती हैं ।
रंजीत ठाकुर की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है जो बेरोजगारी और अशिक्षितता को आत्मसमर्पण और मेहनत से कैसे परास्त किया जा सकता है। उनकी उपलब्धता में जीने की चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास किया।
फुलहारा गांव में जन्मे ठाकुर ने बेरोजगारी और आर्थिक कमी का सामना किया। उन्हें “निकम्मा” कहकर बुलाया जाता था क्योंकि वे अपने परिवार की आर्थिक सहायता के लिए पिता की आय पर निर्भर थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि अपनी मेहनत और उत्साह से अपने जीवन को परिवर्तित किया।
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ठाकुर ने कपड़े की दुकान से शुरूआत की, फिर अपने साहसिक प्रयासों से व्यापार में आगे बढ़ा। कोरोना महामारी के समय, जब उन्हें बेरोजगार होना पड़ा, उन्होंने नई संभावनाओं की खोज की और सत्तू (Sattu) और मसालों (Mashala) के व्यापार में सफलता प्राप्त की। उनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें एक सफल व्यवसायी बनाया है और आज उनकी कहानी लाखों लोगों को प्रेरित कर रही है।
रंजीत ठाकुर की यह कहानी बताती है कि किसी भी परिस्थिति में, संघर्षों का सामना करके हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। उनकी सफलता उनकी मेहनत, उत्साह और साहस का परिणाम है और उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी भी अपनी चुनौतियों से डरना नहीं चाहिए।




