समस्तीपुर : समस्तीपुर रेल कारखाना के अस्तित्व और विकास को लेकर आंदोलन का स्वर और तेज हो गया है। सोमवार को ‘रेल विस्तार एवं विकास समिति’ की समीक्षात्मक बैठक शहर के माधुरी चौक पर आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता शंकर साह ने की और संचालन समिति के संयोजक शत्रुघ्न राय पंजी ने किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि 22 सितंबर से आमरण अनशन शुरू किया जाएगा। इसके पहले माह के अंत तक विभिन्न स्थानों पर जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।
कार्यक्रम के तहत 29 अगस्त को रेस्ट हाउस चौक, स्टेडियम गोलंबर, भोला टाकीज, चीनी मिल और मुक्तापुर चौक पर नुक्कड़ सभाएं होंगी। 30 अगस्त को डीआरएम चौक, रेल कारखाना गेट, चांदनी चौक, स्टेशन चौक सहित कई स्थानों पर नुक्कड़ सभा के साथ-साथ जीबी बैठक, पर्चा वितरण और जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा।
बैठक में समिति के संयोजक शत्रुघ्न राय पंजी ने कहा कि समस्तीपुर रेलवे वर्कशॉप की स्थापना 1881 में हुई थी, लेकिन रेल प्रशासन की गलत नीतियों के कारण इसका अस्तित्व खतरे में है। उन्होंने बताया कि 2012 में रेल मंत्रालय ने यहां माले डिब्बा के पीओएच (परियोडिक ओवरहॉलिंग) कार्य का प्रस्ताव पारित किया था, जिसे 2014-15 में स्वीकृति मिली। बजट 2016-17 में इस कार्य के लिए 63 करोड़ 82 लाख 57 हजार रुपये भी आवंटित किए गए। 2019-20 में आंशिक राशि की निकासी भी हुई, लेकिन अब तक कार्य शुरू नहीं हुआ है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
बैठक में भाकपा माले नेता सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने आंदोलन को सफल बनाने के लिए सभी राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि रेल कारखाना में पीओएच डब्बा निर्माण कार्य तुरंत शुरू होना चाहिए। साथ ही, भोला टाकीज-मुक्तापुर-अटेरन चौक रेल गुमटी पर पुल निर्माण कार्य, कर्पूरीग्राम-ताजपुर-महुआ-भगवानपुर एवं केबल स्थान-कर्पूरीग्राम, दलसिंहसराय से पटोरी नई रेल लाइन योजना को मंजूरी देने, माधुरी चौक स्थित चिल्ड्रेन पार्क का जीर्णोद्धार और रेल अस्पताल को केंद्रीय अस्पताल का दर्जा देने जैसी मांगें भी की गईं।
बैठक में भाकपा माले के दीनबंधु प्रसाद, रामबली सिंह, रामलाल राम, उपेंद्र राय, राजद के राम विनोद पासवान, राकेश ठाकुर, शहीद हुसैन, कांग्रेस के विश्वनाथ हजारी, भगवानलाल पासवान, विन्देश्वर राय, विवेकानंद शर्मा, रंजीत कुमार रंभू, रामनरेश राय, अशोक राय, अरविंद कुमार, ट्रेड यूनियन नेता संतोष कुमार निराला समेत कई लोग मौजूद थे।
नेताओं का कहना है कि यदि सरकार और रेल प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाया, तो न केवल समस्तीपुर रेल कारखाना का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के रोजगार और क्षेत्रीय विकास पर भी गंभीर असर पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यह आंदोलन चरणबद्ध तरीके से और तेज होगा तथा 22 सितंबर को आमरण अनशन की शुरुआत के बाद भी मांगें पूरी न होने पर इसे राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक ले जाया जाएगा।
रेल विस्तार एवं विकास समिति का यह आंदोलन अब राजनीतिक रंग भी ले चुका है, क्योंकि इसमें विभिन्न दलों के नेता और ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता भी खुलकर समर्थन दे रहे हैं। आने वाले दिनों में यह संघर्ष समस्तीपुर में जनांदोलन का रूप ले सकता है।