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बिहार विधानमंडल शीतकालीन सत्र: भूमि सर्वेक्षण समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा

बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र शुरू: भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में सुधार के लिए कानून की संभावना.

बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। पांच दिवसीय इस सत्र में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। सरकार द्वारा भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए नया कानून पेश किए जाने की उम्मीद है। साथ ही, उपचुनाव में जीतकर आए चार नवनिर्वाचित विधायकों को सदन की सदस्यता दिलाई जाएगी।

सदस्यता ग्रहण और प्रारंभिक गतिविधियां
शीतकालीन सत्र के पहले दिन तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज के उपचुनाव में जीते चार नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा की सदस्यता दिलाई जाएगी। विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव इस ऐतिहासिक अवसर पर शपथ दिलाएंगे। यह पहला मौका है जब किसी विधायक को उपचुनाव जीतने के अगले ही दिन सदस्यता दिलाई जा रही है।

पहले दिन विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों में द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरण प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद मंगलवार और बुधवार को सरकारी विधेयकों पर चर्चा होगी, जबकि गुरुवार को द्वितीय अनुपूरक व्यय पर बहस के साथ सरकार का जवाब आएगा। शुक्रवार को गैर-सरकारी संकल्प प्रस्तुत किए जाएंगे।

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भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में सुधार की तैयारी
सत्र का मुख्य आकर्षण भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में सुधार के लिए कानून पेश करना हो सकता है। सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाने की योजना बना रही है, जिससे भूमि संबंधित विवादों को कम किया जा सके। भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में सुधार की मांग लंबे समय से की जा रही है, और यह कानून राज्य के भूमि प्रबंधन को आधुनिक और प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।

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विधान परिषद की कार्यवाही
विधान परिषद की कार्यवाही भी सोमवार से शुरू होगी। परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह इसके संचालन का जिम्मा संभालेंगे। परिषद में भी द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरण प्रस्तुत किया जाएगा। सत्र के दौरान विभिन्न विषयों पर चर्चा और महत्वपूर्ण विधेयकों पर विचार-विमर्श होने की संभावना है।

महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा की संभावना
इस सत्र के दौरान सरकार भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया से जुड़े कानून के अलावा अन्य विधेयक भी प्रस्तुत कर सकती है। इसके तहत राज्य में विकास और प्रशासनिक सुधारों से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता दी जाएगी।

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हंगामेदार रहने के आसार
इस सत्र के हंगामेदार रहने की भी संभावना है। विपक्ष सरकार की नीतियों और कामकाज को लेकर सवाल उठा सकता है, जबकि सत्तारूढ़ दल अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने पर जोर देगा।

निष्कर्ष
पांच दिवसीय यह शीतकालीन सत्र कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। भूमि सर्वेक्षण सुधार से जुड़े प्रस्ताव और अन्य विधेयक इस सत्र की मुख्य उपलब्धि हो सकते हैं। इससे राज्य में प्रशासनिक सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

Gaam Ghar Desk

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