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पटना: महिला पत्रकार का अपहरण नहीं, झूठी कहानी से पुलिस परेशान

पटना में महिला पत्रकार के अपहरण का मामला निकला झूठा, पुलिस की मेहनत पर पानी फिरा

तस्वीर : सांकेतिक

Patna : पटना में एक महिला पत्रकार के कथित अपहरण का मामला पूरी तरह से झूठा निकला। यह मामला तब सामने आया जब एक डिजिटल चैनल की पत्रकार ने पुलिस को अपनी शिकायत में बताया कि उसे कुछ बदमाशों ने अगवा करने की कोशिश की और फिर उसे सुनसान जगह पर छोड़ दिया। हालांकि, पुलिस द्वारा मामले की गहन जांच के बाद पता चला कि यह सिर्फ एक मजाक था, जिसे महिला पत्रकार ने अपने परिचित के साथ किया था। इस झूठे दावे के चलते पुलिस को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि महिला ने न केवल झूठी शिकायत दर्ज कराई, बल्कि इसे बड़ी गंभीरता से पेश किया।

अपहरण की झूठी कहानी का आगाज़
महिला पत्रकार ने पुलिस को बताया था कि शनिवार की रात करीब नौ बजे वह बोरिंग कैनाल रोड के पहलवान मार्केट से अपने घर राजीव नगर जा रही थी। उसके अनुसार, जब वह ई-रिक्शा में बैठी हुई थी, उसे शक हुआ कि रिक्शा चालक उसकी बात नहीं सुन रहा और उसे किसी गलत जगह ले जा रहा है। इसके बाद, उसने दावा किया कि दो बाइक सवार युवक जबरन उसे बाइक पर बैठा कर ले गए और उसे कुछ दूर बेली रोड पर छोड़ दिया। इस कथित अपहरण की कहानी सुनने के बाद पटना पुलिस तत्काल हरकत में आई और मामले की जांच शुरू कर दी।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई
महिला पत्रकार की शिकायत के आधार पर सचिवालय एसडीपीओ-2 साकेत कुमार और पुलिस की अन्य टीमें एसकेपुरी और डायल 100 के साथ मौके पर पहुंचीं। सीसीटीवी फुटेज की जांच के लिए पहलवान घाट से लेकर बोरिंग रोड और शिवपुरी तक के इलाके में कई कैमरों को खंगाला गया। हालांकि, कहीं भी यह देखने को नहीं मिला कि किसी ने उसे बाइक पर जबरन बैठाया हो या कोई संदिग्ध गतिविधि हुई हो।

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जब पुलिस को कोई ठोस सबूत नहीं मिला, तब पुलिस ने महिला पत्रकार से दोबारा बात की। साकेत कुमार ने महिला से गहन पूछताछ की, जिसके बाद सच्चाई सामने आई। महिला ने खुद माना कि उसका अपहरण नहीं हुआ था और यह सब सिर्फ एक प्रैंक था, जिसे उसने अपने परिचित के साथ फोन पर मजाक के रूप में किया था। उसने पुलिस को भी झूठी कहानी सुनाई और लिखित में एक झूठी शिकायत दी।

झूठी कहानी से पुलिस परेशान
इस मामले ने पटना पुलिस को काफी परेशान किया। पुलिस ने कई घंटों तक इलाके में छानबीन की, सीसीटीवी फुटेज देखे, और कई लोगों से पूछताछ की। लेकिन जब महिला पत्रकार ने खुद स्वीकार किया कि यह सब एक प्रैंक था, तब जाकर पुलिस ने राहत की सांस ली।

महिला पत्रकार ने न सिर्फ पुलिस की मेहनत पर पानी फेरा, बल्कि सार्वजनिक संसाधनों का भी दुरुपयोग किया। अपहरण जैसे गंभीर मामले में पुलिस की संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई को देखते हुए यह मामला और भी गंभीर हो गया था।

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सोशल मीडिया और झूठी खबरों का असर
इस पूरे घटनाक्रम का एक और अहम पहलू यह था कि महिला पत्रकार की कथित अपहरण की कहानी सोशल मीडिया पर फैल गई थी। किसी ने इस मामले का वीडियो पटना पुलिस के मीडिया ग्रुप में डाल दिया था, जिसमें महिला पत्रकार ने अपने अपहरण की कहानी बताई थी। यह वीडियो वायरल होते ही मामले को और तूल मिला और पुलिस पर दबाव बढ़ गया कि वह तुरंत इस मामले की सच्चाई सामने लाए।

झूठी शिकायत पर क्या होगा अगला कदम?
महिला पत्रकार द्वारा झूठी शिकायत दर्ज कराने और पुलिस को गुमराह करने के मामले में अब पुलिस कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। झूठी शिकायत दर्ज कराना कानूनन अपराध है और इस मामले में पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है। हालांकि, पुलिस अभी इस मामले में और जांच कर रही है और पत्रकार से पूछताछ जारी है।

पुलिस की प्रतिक्रिया
सचिवालय एसडीपीओ-2 साकेत कुमार ने मीडिया को बताया कि महिला पत्रकार ने खुद स्वीकार किया कि उसका अपहरण नहीं हुआ था और वह केवल अपने परिचित से मजाक कर रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की झूठी शिकायतें पुलिस के लिए समय और संसाधनों की बर्बादी का कारण बनती हैं और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

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झूठी खबरें और समाज पर इसका प्रभाव
यह घटना उन चुनौतियों की तरफ भी इशारा करती है, जिनसे आज की दुनिया में पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियां जूझ रही हैं। झूठी खबरें, प्रैंक और गलत सूचनाएं न केवल प्रशासनिक तंत्र को बाधित करती हैं, बल्कि समाज में अनावश्यक तनाव और भय का माहौल भी पैदा करती हैं। इस मामले में भी महिला पत्रकार द्वारा किया गया यह प्रैंक सिर्फ एक मजाक नहीं था, बल्कि एक ऐसी हरकत थी, जिसने न केवल पुलिस बल्कि पूरे समाज को भ्रमित कर दिया।

पटना में महिला पत्रकार के अपहरण का यह मामला भले ही झूठा निकला हो, लेकिन इसने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। क्या ऐसी घटनाओं को केवल मजाक मानकर छोड़ देना चाहिए, या इनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए? पुलिस द्वारा इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाएगी या नहीं, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा, लेकिन यह घटना हमें इस बात की याद दिलाती है कि सार्वजनिक संसाधनों और कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

 

Gaam Ghar News Desk

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