बिहार विधानसभा चुनाव 2025 शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो चुके हैं और नतीजे घोषित होने के बाद एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है—राज्य के किसी भी हारने वाले उम्मीदवार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की जली हुई मेमोरी या माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए आवेदन नहीं किया है। यह जानकारी भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने आधिकारिक रूप से साझा की है। आयोग के मुताबिक, बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों और उपचुनावों के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से किसी भी प्रत्याशी ने निर्धारित अवधि में कोई आपत्ति या सत्यापन की मांग नहीं की।
SC के निर्देश के बाद भी नहीं हुई कोई मांग
चुनाव आयोग ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार 17 जून 2025 को संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की गई थी। इस SOP के तहत दूसरे और तीसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवारों को यह अधिकार दिया गया था कि वे परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर ईवीएम की जली हुई मेमोरी या माइक्रोकंट्रोलर की जांच और सत्यापन की मांग कर सकते हैं।
इसके बावजूद बिहार चुनाव 2025 में किसी भी प्रत्याशी ने ऐसी मांग नहीं उठाई। आयोग का कहना है कि यह स्थिति चुनाव प्रक्रिया पर बढ़ते जनविश्वास को दर्शाती है।
VVPAT मिलान में भी नहीं मिली कोई विसंगति
भारत निर्वाचन आयोग का कहना है कि इस बार आयोजित बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कई नई उपलब्धियां दर्ज की गईं। सबसे अहम पहलू यह रहा कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में यादृच्छिक रूप से चुने गए 5 मतदान केंद्रों पर अनिवार्य रूप से वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया गया। कुल 1,215 मतदान केंद्रों पर हुए इस सत्यापन में ईवीएम और वीवीपैट गणना में एक भी विसंगति नहीं मिली।
यह पहली बार हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में किए गए अनिवार्य सत्यापन में किसी भी प्रकार की त्रुटि सामने नहीं आई, जिससे EVM की विश्वसनीयता को मजबूती मिली है।
किसी ने पुनर्मतदान या अपील की मांग नहीं की
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार के 38 जिलों में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के बाद भी किसी मतदाता ने अपनी गलत तरीके से शामिल या बहिष्कृत किए जाने के खिलाफ कोई अपील नहीं की।
इसके अलावा 2,616 उम्मीदवारों और 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में से किसी ने भी पुनर्मतदान या किसी मतदान केंद्र के परिणाम पर आपत्ति दर्ज नहीं की। यह स्थिति बिहार चुनाव 2025 की पारदर्शिता को और मजबूत करती है।
डेटा रिकॉर्ड समय में सार्वजनिक किया गया
बिहार विधानसभा चुनाव और 8 सीटों पर हुए उपचुनावों के लिए आयोग ने पहली बार चुनाव परिणामों की घोषणा के 72 घंटे के भीतर इंडेक्स कार्ड प्रकाशित किए। साथ ही सांख्यिकीय रिपोर्टों का पूरा सेट भी नतीजे आने के 5 दिनों के भीतर सार्वजनिक डोमेन में निःशुल्क उपलब्ध करा दिया गया।
इतनी तेजी से डेटा और रिपोर्ट सार्वजनिक करना चुनाव आयोग की पारदर्शिता और जवाबदेही का संकेत माना जा रहा है।
विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर आयोग का जोर
चुनाव आयोग ने कहा कि यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में चुनाव होने के बाद किसी भी हारने वाले उम्मीदवार ने EVM की जांच को लेकर सवाल नहीं उठाए। न राजनीतिक दलों ने शिकायत की, न ही उम्मीदवारों ने पुनर्मतदान की मांग की।
आयोग के अनुसार ये सभी आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अत्यधिक पारदर्शी, तकनीकी रूप से उन्नत और सभी दिशानिर्देशों के अनुरूप सफलतापूर्वक आयोजित किए गए।
बिहार चुनाव 2025 से सामने आई यह तस्वीर न केवल आयोग के लिए बड़ी उपलब्धि है, बल्कि लोकतंत्र के प्रति जनता और उम्मीदवारों के भरोसे का मजबूत संकेत भी है।




