कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार दलित और पिछड़ों की राजनीति को लेकर सक्रिय हैं। 11 साल से केंद्र में सत्ता से बाहर रहने के बावजूद, राहुल गांधी अब पार्टी में नई ऊर्जा और दिशा देने की कोशिश में जुटे हैं। बिहार के पटना में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद बुधवार को राहुल गांधी ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव और अन्य विपक्षी महागठबंधन के नेताओं के साथ मिलकर अति पिछड़ी जातियों (EBC) के लिए 10 वादों का संकल्प जारी किया।
अति पिछड़े वर्ग को बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोर वोट माना जाता है। यही वजह है कि महागठबंधन द्वारा यह संकल्प पेश किया गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से संकेत मिलते हैं कि राहुल गांधी 2029 के लोकसभा चुनाव में प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में आरक्षण का एजेंडा आजमाने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
राहुल गांधी और कांग्रेस का प्राइवेट सेक्टर आरक्षण एजेंडा
इस साल कर्नाटक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को लेकर एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 15(5) को पूरी तरह लागू किया जाना चाहिए। इसके साथ ही खरगे ने कहा कि केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम (PSU) जा रहे हैं और कॉरपोरेट कंपनियां उनका अधिग्रहण कर रही हैं। इस प्रक्रिया में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब किसी बड़े नेता ने प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की बात की हो। 19 दिसंबर 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कहा था कि यदि सरकारी नौकरियों में आरक्षण संभव है तो प्राइवेट सेक्टर में क्यों नहीं। उन्होंने इस मसले पर आम सहमति बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया था, लेकिन 2004 में बीजेपी के सत्ता से हटने के बाद यह विषय स्थगित हो गया।
EBC संकल्प में क्या हैं प्रमुख वादे
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन ने अति पिछड़ों के हित में 10 प्रमुख वादों को अपने EBC संकल्प में शामिल किया है। इसमें प्रमुख रूप से सरकारी बहाली में “Not Found Suitable” के चलन को अवैध घोषित करना शामिल है। यह व्यवस्था अक्सर आरक्षित वर्गों के बेरोजगारों को सरकारी नौकरियों से वंचित करती रही है।
साथ ही, राज्य के सभी प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करना भी इस संकल्प का हिस्सा है। वर्तमान में, संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तहत सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थानों में SC-ST और OBC के लिए आरक्षण लागू है, लेकिन प्राइवेट कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में इसका लाभ नहीं मिलता। राहुल गांधी के इस कदम से प्राइवेट शिक्षा संस्थानों में आरक्षण का दायरा बढ़ाने की दिशा में कांग्रेस सक्रिय हो रही है।
शिक्षा और आरक्षण के लिए संसदीय सिफारिशें
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने 20 अगस्त 2025 को राज्यसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में सरकार से सिफारिश की गई कि सभी निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में OBC का 27%, SC का 15% और ST का 7.5% आरक्षण लागू किया जाए। इसके अलावा, ऐसे छात्रों को पूरी सरकारी वित्तीय सहायता देने की भी सिफारिश की गई, ताकि प्राइवेट संस्थानों में दाखिला सरल हो सके।
राहुल गांधी का कहना है कि आरक्षण की सीमा को 50% से ऊपर बढ़ाने के लिए भी काम किया जाएगा। इसके जरिए वह लगातार दलित और पिछड़ों के मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं।
कांग्रेस की रणनीति और बूथ रक्षक योजना
सिर्फ आरक्षण ही नहीं, कांग्रेस ने चार राज्यों में बूथ रक्षक योजना के माध्यम से grassroot स्तर पर संगठन को मजबूत करने की रणनीति भी बनाई है। यह योजना राहुल गांधी के राजनीतिक दांव का हिस्सा मानी जा रही है।
कांग्रेस में इस मुद्दे को लेकर आधिकारिक फोरम पर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई है, लेकिन अनौपचारिक रूप से मंथन जारी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि यह आरक्षण और शिक्षा के मुद्दों पर सक्रियता कांग्रेस की राजनीतिक वापसी की रणनीति का संकेत है।
प्राइवेट नौकरी में आरक्षण: राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य
वर्तमान में, प्राइवेट सेक्टर में SC-ST और OBC के लिए कोई औपचारिक आरक्षण नहीं है। सरकार ने पहले 25% आरक्षण मॉडल लागू किया था, जिसमें सरकारी खर्च के तहत निजी स्कूलों में आरक्षित बच्चों को पढ़ाई का अवसर मिलता है। राहुल गांधी इस मॉडल को उच्च शिक्षा और नौकरियों तक विस्तारित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में EBC संकल्प और प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग से महागठबंधन को राजनीतिक लाभ मिलेगा। यह कदम विशेषकर नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक को प्रभावित करने और 2029 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने दलित और पिछड़ों के मुद्दों पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। EBC संकल्प, प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में आरक्षण, और सरकारी नौकरियों में ‘Not Found Suitable’ का विरोध उनके रणनीतिक राजनीतिक कदमों का हिस्सा हैं।
विश्लेषकों के अनुसार, यह सिर्फ बिहार विधानसभा चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि 2029 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मुख्य एजेंडा बनने की संभावना है। राहुल गांधी ने अपनी पार्टी में नई ऊर्जा भरने और महागठबंधन को मजबूत करने की दिशा में अपने राजनीतिक कदम पहले ही उठा दिए हैं।
इस पूरी प्रक्रिया से संकेत मिलता है कि कांग्रेस प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण का मुद्दा उठाकर 2029 की तैयारियों की दिशा में गंभीरता से बढ़ रही है।