बिहारभाषा-साहित्य

करना सफ़र नहीं है आसान ज़िन्दगी में – सुनीता ‘सुमन’

ग़ज़ल

सुनीता ‘सुमन’

मैं हो के रह गई हूं हैरान ज़िंदगी में ।
आएंगे और कितने तूफान ज़िंदगी में ।।

आए हो जब से बन कर मेहमान ज़िंदगी में ।
मेला सा लग गया है सुनसान ज़िंदगी में ।।

मय्यत उठाए ख़ुद की फिरते हैं दर ब दर हम ।
करना सफ़र नहीं है आसान ज़िंदगी में ।।

मुश्किल न कोई आए ग़म भी न कोई आए ।
खुशियों से आपकी हो पहचान ज़िंदगी में ।।

यह भी पढ़ें  ग्रामीण क्षेत्रों में भी डायल 112 की सुबिधा: हथौड़ी थाने को मिली सौगात

शंकर न बन सकी मैं पी कर के विष का प्याला ।
सौ बार कर चुकी हूं रसपान ज़िंदगी में ।।

ग़म का लगा है मेला किस्मत बनी मदारी ।
ख़ुशियां न बन सकी हैं मेहमान ज़िंदगी में ।।

सबके दिलों में डेरा यूं ही नहीं जमाया ।
करनी पड़ी है ख़ुशियां कुर्बान ज़िंदगी में ।।

यह भी पढ़ें  तेजस्वी यादव पर बीजेपी का बड़ा आरोप: 'सरकारी बंगले से सोफा, एसी ले गए'

अपनी ही कब्र पर हम कब तक बहाएं आंसू ।
जलते रहेंगे कब तक अरमान ज़िंदगी में ।।

इक आरज़ू ‘सुमन’ है बस एक ही तमन्ना ।
देना ख़ुशी हर इक को भगवान ज़िंदगी में ।।

सुनीता ‘सुमन’, पोखरिया, बेगूसराय.

यह भी पढ़ें  बिहार में फूल उत्पादन को प्रोत्साहन: 50 से 90% अनुदान से नई पहल शुरू
अगर आप साहित्यकार हैं तो आप भी अपनी अप्रकाशित रचनाएँ हमें भेज सकते हैं
अपनी रचनाएँ हमें ईमेल करें : gaamgharnews@gmail.com
या व्हाट्सप्प करें: +919523455849
अपने प्रतिष्ठान विज्ञापन फ़िल्म बनाने के लिए या डिजिटली प्रोमोट करने के लिए हमसे संपर्क करें – +917903898006   

Ashok Ashq

Ashok ‘’Ashq’’, Working with Gaam Ghar News as a Co-Editor. Ashok is an all rounder, he can write articles on any beat whether it is entertainment, business, politics and sports, he can deal with it.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button