
पटना : यातायात नियमों के सख्त अनुपालन और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए बिहार सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। पटना की तर्ज पर अब समस्तीपुर समेत राज्य के 26 जिलों में सीसीटीवी कैमरे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से यातायात नियम तोड़ने वालों की पहचान कर ऑटोमेटिक चालान जारी किया जाएगा। परिवहन विभाग के अनुसार, यह व्यवस्था मार्च 2025 तक लागू हो जाएगी और 1 अप्रैल, 2025 से चालान कटने शुरू हो जाएंगे।
परिवहन मंत्री शीला मंडल ने कहा कि इस नई व्यवस्था से सड़क सुरक्षा बढ़ेगी और यातायात नियमों का पालन सुनिश्चित होगा। मंत्री ने बताया कि हेलमेट पहनने और अन्य यातायात नियमों का पालन न करने वालों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। उन्होंने विश्वास जताया कि इससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी और लोग अधिक जिम्मेदार बनेंगे।
सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े चिंताजनक
परिवहन विभाग के अनुसार, 2023 में बिहार में हेलमेट नहीं पहनने के कारण 1389 लोगों की मौत हुई, जबकि 905 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। मरने वालों में 882 दोपहिया वाहन चालक और 507 पीछे सवार लोग थे। ये आंकड़े राज्य में सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी की गंभीरता को दर्शाते हैं।
कहां-कहां लगेगी व्यवस्था
परिवहन विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने जानकारी दी कि राज्य के 26 जिलों के 72 प्रमुख चौक-चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। ये कैमरे एआई तकनीक का उपयोग कर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को पहचानेंगे। चार स्मार्ट सिटी वाले जिलों में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है। अब इसे मधेपुरा, सुपौल, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद, नवादा, समस्तीपुर, मधुबनी, शेखपुरा, जमुई, लखीसराय, बांका, अररिया, कटिहार, बक्सर, रोहतास, कैमूर, भोजपुर, गोपालगंज, सीवान, शिवहर, सीतामढ़ी, वैशाली, खगड़िया, किशनगंज और मोतिहारी में लागू किया जाएगा।
कैसे काम करेगा सिस्टम?
संजय अग्रवाल ने बताया कि नौ अन्य जिलों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। ये कैमरे वाहन की नंबर प्लेट को स्वचालित रूप से स्कैन करेंगे। यातायात नियमों का उल्लंघन होने पर सिस्टम स्वतः चालान तैयार कर वाहन मालिक के पते पर भेजेगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल और स्वचालित होगी।
सरकार का उद्देश्य
इस पहल का उद्देश्य यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक बनाना और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है। साथ ही, हेलमेट पहनने और अन्य यातायात नियमों के पालन को बढ़ावा देना है। परिवहन विभाग का मानना है कि इस तकनीक के उपयोग से राज्य में सड़क सुरक्षा का स्तर और बेहतर होगा।