बिहार समस्तीपुर जिले के पूसा में आशा कार्यकर्ताओं Accredited Social Health Activist (ASHA) और फैसिलिटेटरों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रतिवाद मार्च निकालते हुए अनुमंडलीय अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के समक्ष जमकर नारेबाजी की। इस प्रदर्शन का नेतृत्व आशा संघ की प्रखंड अध्यक्ष कल्पना सिन्हा और प्रखंड सचिव उषा कुमारी ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान भाकपा-माले प्रखंड सचिव अमित कुमार और अन्य नेता भी उनके साथ मौजूद रहे।
प्रदर्शन का कारण
आशा संघ की प्रखंड अध्यक्ष कल्पना सिन्हा ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को मोबाइल ऐप के माध्यम से घर-घर सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही अनिवार्य ट्रेनिंग में परिवार के बालिग सदस्यों को शामिल करने की शर्त जोड़ दी गई है, जिससे आशाओं को डेटा भरने में मदद मिल सके। उन्होंने आरोप लगाया कि आशा कार्यकर्ताओं को टीकाकरण, प्रसव जैसे उनके मुख्य कार्यों से हटाकर अन्य कामों में लगाया जा रहा है, जो उनके स्वास्थ्य और श्रम के लिए अन्यायपूर्ण है।
मानदेय और भत्ते को लेकर नाराजगी
कल्पना सिन्हा ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं से 10 से 12 घंटे तक काम कराया जा रहा है, लेकिन इसके लिए उन्हें उचित पारिश्रमिक या अतिरिक्त भत्ता नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि मासिक मानदेय वृद्धि को लेकर किए गए समझौते का अभी तक अनुपालन नहीं हुआ है, जिससे कार्यकर्ताओं में आक्रोश बढ़ रहा है।
प्रमुख मांगें
1. आशा कार्यकर्ताओं को उनके कार्यों के लिए उचित मानदेय और भत्ता दिया जाए।
2. “आयुष्मान भारत” और अन्य सर्वेक्षण कार्यों के लिए अलग से पारिश्रमिक तय किया जाए।
3. आशा कार्यकर्ताओं से जबरन अतिरिक्त काम न लिया जाए।
4. स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी समझौता पत्र का शीघ्र पालन किया जाए।
नेताओं का समर्थन
सभा को संबोधित करते हुए माले जिला कमिटी सदस्य रौशन कुमार, स्कीम वर्कर्स जिला प्रभारी महेश कुमार और युवा नेता राहुल राज ने आशा कार्यकर्ताओं की मांगों का समर्थन किया। उन्होंने राज्य सरकार पर आशा कार्यकर्ताओं के श्रम का शोषण करने का आरोप लगाया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का आश्वासन दिया।
महिलाओं की भारी भागीदारी
इस प्रदर्शन में दर्जनों आशा कार्यकर्ता जैसे प्रीतिबाला कुमारी, बबीता देवी, प्रभा देवी, विभा देवी, और अन्य शामिल हुईं। उन्होंने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार से जल्द से जल्द उनकी मांगों को मानने की अपील की।
पूसा में इस मार्च और प्रदर्शन ने आशा कार्यकर्ताओं के रोष और उनके संघर्ष को उजागर किया है, जो मानदेय और भत्ते के साथ-साथ सम्मानजनक कार्य स्थिति की मांग कर रहे हैं।
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