mukaddar chheen leta hai
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ग़ज़ल
ग़ज़ल; मुकद्दर छीन लेता है
अमीरे शह्र चक्कर कुछ चलाकर छीन लेता है । गरीबों के यतीमों के मुकद्दर छीन लेता है ।। ज़रा मुस्कान…
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अमीरे शह्र चक्कर कुछ चलाकर छीन लेता है । गरीबों के यतीमों के मुकद्दर छीन लेता है ।। ज़रा मुस्कान…
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