रोसड़ा (समस्तीपुर)। फिल्म निर्देशक एवं जनसेवक एन. मंडल ने अपने फेसबुक पोस्ट में रोसड़ा विधानसभा की उपेक्षा और अति पिछड़ेपन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से चर्चा का विषय बना हुआ है।
एन. मंडल ने लिखा कि कभी स्वतंत्र लोकसभा क्षेत्र के रूप में पहचाना जाने वाला रोसड़ा आज राजनीतिक भूलों और लापरवाही के कारण ठहराव का शिकार है। उन्होंने याद दिलाया कि रोसड़ा को समस्तीपुर लोकसभा में मिला देना और सिंघिया विधानसभा क्षेत्र को समाप्त कर देना केवल कागजी निर्णय नहीं था, बल्कि इसने क्षेत्र के भविष्य को दशकों पीछे धकेल दिया।
विकास की ठप स्थिति
एन. मंडल ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार के लंबे कार्यकाल और स्थानीय प्रतिनिधियों की उदासीनता से रोसड़ा का विकास लगभग रुक गया है। उन्होंने लिखा कि यहां के बीजेपी विधायक जनता की समस्याओं के समाधान की जगह सत्ता का रौब दिखाने और लोगों की जमीन छीनने में व्यस्त रहे। परिणामस्वरूप रोसड़ा आज भी “पिछड़ा” नहीं बल्कि “अति पिछड़ा” क्षेत्र बना हुआ है।
पिछले 20 वर्षों से लगभग सभी दलों के विधायक रोसड़ा से चुने गए, लेकिन न तो रोसड़ा जिला बनाने का सपना साकार हुआ और न ही ठोस विकास हो सका।
बदहाल बुनियादी ढाँचा
एन. मंडल ने शहर की दुर्दशा का उल्लेख करते हुए कहा कि ब्लॉक रोड और स्टेशन रोड जैसे मुख्य मार्ग जर्जर हैं। नल-जल योजना की विफलता से हर मौसम में जलजमाव आम समस्या बनी रहती है। गंदगी और पानी भराव ने स्वास्थ्य संकट को स्थायी रूप से बढ़ा दिया है।
बेरोजगारी और पलायन
पोस्ट में बेरोज़गारी और युवाओं के पलायन की भी चर्चा की गई है। एन. मंडल ने कहा कि ट्रेन के ठहराव जैसी बुनियादी मांगों के लिए भी आंदोलन करना पड़ता है। वहीं कानून-व्यवस्था की हालत लगातार बिगड़ रही है, जिससे आम लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
बदलाव की ज़रूरत
एन. मंडल ने स्पष्ट कहा—
“अब समय आ गया है कि हम मिलकर इस राजनीतिक ठहराव को तोड़ें। रोसड़ा के विकास की नई राह तभी खुलेगी, जब जनता अपनी ताकत पहचानकर सही नेतृत्व का चुनाव करेगी।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष बिहार तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, मुकेश सहनी और समस्तीपुर सांसद शाम्भवी चौधरी सहित तमाम नेताओं को टैग कर रोसड़ा की जनता की आवाज़ को सामने रखा।
जनता की पुकार
पोस्ट में यह सवाल उठाया गया है कि आखिर कब रोसड़ा को उसका हक़ मिलेगा? कब यह क्षेत्र “अति पिछड़ेपन” से निकलकर विकास की राह पर बढ़ेगा? और कब रोसड़ा जिला बनाने का सपना साकार होगा?
एन. मंडल का यह पोस्ट न केवल रोसड़ा की समस्याओं को उजागर करता है बल्कि जनता को जागरूक होने और सही नेतृत्व चुनने का आह्वान भी करता है। उनके शब्दों में—
“रोसड़ा की उपेक्षा केवल विकास की रफ्तार रोकना नहीं है, बल्कि यह जनता की आकांक्षाओं के साथ अन्याय है। बदलाव केवल नारों से नहीं आएगा, बल्कि सही नेतृत्व चुनने से आएगा।”