बिहार सरकार ने राज्य के मछुआरों के आर्थिक सशक्तिकरण और उनकी आय बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण योजना की घोषणा की है। डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत मछुआरों को नाव और मछली पकड़ने के जाल की खरीद पर 90 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। इस योजना का नाम नाव एवं जाल पैकेज वितरण योजना रखा गया है, जिसके अंतर्गत मछुआरों को एक लाख रुपये से अधिक की सब्सिडी का लाभ मिल सकता है।
सरकार ने इस योजना के लिए 31 दिसंबर 2025 तक ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। इच्छुक लाभार्थी राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट fisheries.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इस योजना का लाभ राज्य मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्य, परंपरागत मछुआरे, मछली पकड़ने के व्यवसाय से जुड़े लोग, महिलाएं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मछुआरे भी उठा सकते हैं।
सरकार के अनुसार, इस योजना के तहत मछुआरे तीन पैकेजों में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। इनमें फिशिंग उडेन बोट पैकेज, फिशिंग एफआरपी (FRP) बोट पैकेज और कॉस्ट (फेका) जाल पैकेज शामिल हैं। फिशिंग उडेन बोट पैकेज की इकाई लागत 1,24,400 रुपये तय की गई है, जबकि फिशिंग एफआरपी बोट पैकेज की लागत 1,54,400 रुपये रखी गई है। वहीं, कॉस्ट (फेका) जाल पैकेज की इकाई लागत 16,700 रुपये निर्धारित की गई है। इन सभी पैकेजों पर सरकार अधिकतम 90 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान करेगी।
ऑनलाइन आवेदन के दौरान मछुआरों को अपना मोबाइल नंबर, बैंक शाखा का नाम, खाता संख्या, आईएफएससी कोड, आधार कार्ड और मछली शिकार से संबंधित आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और ऑनलाइन होगी, ताकि अधिक से अधिक योग्य मछुआरे इस योजना का लाभ उठा सकें।
इस योजना के लिए बिहार के सभी जिलों के मछुआरे आवेदन कर सकते हैं। लाभार्थियों का चयन संबंधित जिले के उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा। चयन प्रक्रिया में पात्रता और दस्तावेजों की जांच के बाद अंतिम सूची तैयार की जाएगी।
राज्य सरकार का कहना है कि इस योजना से मछुआरों को आधुनिक और सुरक्षित साधन उपलब्ध होंगे, जिससे मछली उत्पादन में वृद्धि होगी और उनकी आमदनी बढ़ेगी। साथ ही, यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और मछुआरा समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। नीतीश सरकार की यह पहल मछुआरों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।




