
नीतीश कुमार 20 नवंबर को गांधी मैदान में दसवीं बार लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ — पीएम मोदी समेत शीर्ष नेता होंगे मौजूद
पटना — बिहार में एनडीए की शानदार जीत के बाद एक ऐतिहासिक सरकार बनने जा रही है। जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार 20 नवंबर 2025 को पटना के गांधी मैदान में दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। यह आयोजन राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसमें देश के शीर्ष राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नेताओं की भागीदारी की उम्मीद है।
शपथ ग्रहण का आयोजन और तैयारी
शपथ ग्रहण समारोह 20 नवंबर को गांधी मैदान में होगा, जहाँ पहले से तैयारी जोरों पर है। मौके को बड़े पैमाने पर तैयार करने के लिए प्रशासन ने 17 से 20 नवंबर तक गांधी मैदान को आम जनता के लिए बंद कर दिया है। आयोजन स्थल को VIP गैलरी, मंच और सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से व्यवस्थित किया जा रहा है।
समारोह का महत्व सिर्फ नए मुख्यमंत्री की शपथ तक सीमित नहीं है; इसे एनडीए की 202 सीटों की बड़ी जीत का जश्न भी माना जा रहा है, क्योंकि यह गठबंधन विधानसभा में मजबूत बहुमत प्राप्त करने में सफल रहा है।
शीर्ष नेताओं की भागीदारी
इस शपथ ग्रहण समारोह को विशाल भव्य राजनीतिक मंच के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह में उपस्थित रहेंगे, जो इसे राष्ट्रीय महत्व देता है।
इसके अलावा, कई वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं और एनडीए सहयोगियों की मौजूदगी भी उपलभ्य है — जैसे अमित शाह, राजनाथ सिंह, धर्मेंद्र प्रधान।
एनडीए के अन्य घटक दलों से भी प्रतिनिधि उपस्थित होंगे: LJP (Ram Vilas), हम (HAM), आरएलएम आदि। साथ ही, अन्य NDA-शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी समारोह में शामिल होने की संभावना है।
सरकार गठन: प्रक्रिया और कैबिनेट का बंटवारा
शपथ ग्रहण से पहले अभी कई राजनीतिक प्रक्रिया पूरी की जानी हैं। वर्तमान सरकार की आखिरी कैबिनेट बैठक समारोह से कुछ दिन पहले की जाने वाली है, जिसमें इस्तीफे और पॉलिसी-स्वीकृतियों के निर्णय शामिल होंगे।
बैठक के बाद, नीतीश कुमार राज्यपाल से मिलकर अपना मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे और पढ़ा जाएगा कि वह नई सरकार बनाने का दावा पेश करें।
एनडीए के सहयोगी दलों के विधायक नेता की बैठक में नए मंत्रिमंडल का बंटवारा तय किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, मंत्री पदों के आवंटन में निम्न विवरण पर सहमति बन चुकी है:
• जेडीयू: लगभग 14 मंत्री पद (मुख्यमंत्री सहित)
• बीजेपी: लगभग 15-16 मंत्री पद
• LJP (RV): 3 मंत्री पद
• HAM (S) और RLM: एक-एक मंत्री पद
साथ ही, यह संभावना भी है कि कम से कम एक उप-मुख्यमंत्री की भूमिका बनाई जाए, ताकि गठबंधन अंदरूनी संतुलन बेहतर बना सके।
नीतीश कुमार की राजनीतिक मजबूती और चुनौती
नीतीश कुमार का यह दसवाँ मुख्यमंत्री पद बनने का रिकॉर्ड उनकी राजनीतिक स्थिरता और अनुभव को दर्शाता है। इस स्तर पर शपथ ग्रहण समारोह एनडीए के प्रति जनता और समर्थकों को भरोसा देने का एक संदेश है कि गठबंधन एकजुट और मजबूत है।
हालाँकि, नई सरकार के सामने चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। जीत के बाद जिम्मेदारी बढ़ रही है — सामाजिक विकास, आर्थिक सुधार, पलायन पर नियंत्रण जैसे मुद्दे नए कार्यकाल को आसान नहीं बनाएंगे।
समारोह का प्रतीकात्मक और राजनैतिक महत्व
• गांधी मैदान का चुनाव एक सांकेतिक फैसला है। यह स्थल न सिर्फ पटना का ऐतिहासिक मैदान है, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन का भी प्रतीक रहा है।
• समारोह की भव्यता यह दर्शाती है कि जेडीयू और NDA अपनी जीत को महज चुनावी सफलता नहीं, जनता की जीत और जन समर्थन के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं।
• प्रधानमंत्री और शीर्ष केंद्रीय नेताओं की मौजूदगी इस शपथ ग्रहण को राष्ट्रीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाती है और यह संकेत देती है कि केंद्र और राज्य के बीच सहयोग जारी रहेगा।
सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था
आयोजन की तैयारी के चलते:
1. गांधी मैदान बंद — प्रशासन ने इसे 17 से 20 नवंबर तक बंद करने का फैसला किया है ताकि सुरक्षा, मंच और बैठने की व्यवस्था की जा सके।
2. VIP गैलरी और मेहमान सूची — समारोह में शामिल होने वाले नेताओं और अतिथियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, जिससे कार्यक्रम निष्पादित परिपूर्ण रूप से हो सके।
3. सुरक्षा प्रबंधन — भारी भीड़ और उच्च स्तरीय नेताओं की वजह से पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को प्रतिबद्ध किया गया है, ताकि समारोह सुचारू और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके।
जनता और राजनैतिक सन्देश
इस शपथ ग्रहण समारोह का व्यापक राजनीतिक संदेश है:
• जन समर्थन का जश्न: जनता के सामने नई सरकार का भरोसेमंद चेहरा पेश करना।
• गठबंधन की मजबूती: NDA की एकता और संवादात्मक शक्ति को दिखाना।
• प्रशासन की शक्ति प्रदर्शन: सत्ता में लौटे नीतीश कुमार और गठबंधन को यह दिखाने का अवसर कि वे सिर्फ चुनावी जीत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि राज्य को आगे ले जाने की प्रतिबद्धता रखते हैं।
20 नवंबर का दिन बिहार राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण बनने जा रहा है। गांधी मैदान में होने वाला यह शपथ ग्रहण सिर्फ एक औपचारिक समारोह नहीं है, बल्कि नीतीश कुमार की राजनीतिक जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है — दसवीं बार मुख्यमंत्री बनना, और एनडीए की जीत का सार्वजनिक और सभ्य जश्न मनाना।
प्रधानमंत्री मोदी सहित कई बड़े नेताओं की भागीदारी से यह आयोजन ग्रैंड पॉलिटिकल प्लेटफॉर्म की याद दिलाता है। वहीं, कैबिनेट बंटवारे की समझौते और प्रशासनिक तैयारियों की पूरी प्रक्रिया यह दर्शाती है कि नई सरकार सिर्फ सत्ता प्राप्ति का लक्ष्य न होकर लंबी अवधि के लिए शासन की नींव रखने की योजना बना रही है।
बिहारवासियों की नजर अब 20 नवंबर की शाम पर टिकी है — जब नई सरकार की नई शुरुआत गांधी मैदान की धूप-छाँव में होगी, और राजनीतिक इतिहास के एक नए अध्याय की शुरुआत होगी।




