बिहार की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास को लेकर जारी विवाद एक बार फिर गरमाता दिख रहा है। आरजेडी नेताओं द्वारा आवास खाली नहीं करने की चेतावनी के बाद राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। डिप्टी सीएम सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने स्पष्ट कर दिया कि सरकारी आवास राज्य की जनता की संपत्ति है और इसे कोई अपनी बपौती समझकर नहीं रख सकता।
“सरकारी बंगला जनता की संपत्ति, किसी की निजी जागीर नहीं” – सम्राट चौधरी
गुरुवार को न्यूज 18 के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। मंडल ने कहा था कि राबड़ी आवास किसी भी हालत में खाली नहीं किया जाएगा, चाहे सरकार कुछ भी कर ले। इसका जवाब देते हुए सम्राट चौधरी ने कहा—
“सरकारी आवास की मालिक जनता है। यह किसी की बपौती नहीं है। कोर्ट ने साफ कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला नहीं मिलेगा। राबड़ी देवी को नेता प्रतिपक्ष के लिए जो घर निर्धारित किया गया है, वही उन्हें मिल चुका है।”
सम्राट चौधरी ने यह भी कहा कि इस मामले में उनका लालू-राबड़ी परिवार से कोई व्यक्तिगत विवाद नहीं है, बल्कि वे सिर्फ कानून और व्यवस्था का पालन कर रहे हैं।
“तेजस्वी खुद गए थे कोर्ट, फैसला उनके खिलाफ गया”
डिप्टी सीएम ने याद दिलाया कि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी इसी मुद्दे को लेकर अदालत गए थे और सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट दोनों ने यह तय कर दिया कि कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगला स्थायी रूप से नहीं रख सकता।
सम्राट ने कहा—
“जब कोर्ट ने साफ निर्देश दे दिया है, तो पूर्व सीएम के पास उस घर पर अब कोई अधिकार नहीं रह जाता। सरकार ने उन्हें एक नया, बड़ा और उचित घर दे दिया है।”
“आरजेडी के बयान अराजकता वाले”
सम्राट चौधरी ने मंगनीलाल मंडल के बयान को पूरी तरह अराजकता बताया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी नेता यह नहीं कह सकता कि वह सरकारी आवास खाली नहीं करेगा।
“आरजेडी के लोग अराजकता और गुंडागर्दी वाली भाषा बोलते हैं। बिहार में कानून का राज है। सरकार आवास देती है और जरूरत पड़ने पर बदलती भी है। यह कोई नई बात नहीं।”
सम्राट के अनुसार, पिछले 28 साल में उनका स्वयं का छह बार सरकारी आवास बदला गया है। इसलिए आवास परिवर्तन को लेकर विरोध करना गैरवाजिब है।
राबड़ी आवास विवाद की पृष्ठभूमि
हाल ही में भवन निर्माण विभाग ने 39 हार्डिंग रोड स्थित आवास को बिहार विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष के लिए अधिकृत कर दिया है। इस फैसले के बाद लालू-राबड़ी परिवार को 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास खाली करना होगा।
लालू-राबड़ी पिछले लगभग 20 वर्षों से इस घर में रह रहे हैं।
सरकार के आदेश के बाद इस घर को खाली कराने की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन आरजेडी ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध और नीतीश कुमार पर भाजपा के दबाव का नतीजा बताया।
आरजेडी ने लिया आक्रामक रुख, अदालत जाने की चेतावनी
आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा—
“जो करना है करें, लेकिन हम डेरा खाली नहीं करेंगे। जरूरत पड़ेगी तो कोर्ट जाएंगे।”
आरजेडी नेताओं का आरोप है कि एनडीए सरकार बदले की राजनीति कर रही है और लालू परिवार को परेशान करने की कोशिश की जा रही है।
सरकार का रुख साफ—“कोई विशेषाधिकार नहीं”
सरकार का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष के लिए नया आवास पहले ही आवंटित किया जा चुका है और राबड़ी देवी को अधिक सम्मानजनक तथा पहले से बड़ा घर दिया गया है।
सम्राट चौधरी ने कहा—
“नेता प्रतिपक्ष को सम्मान देना सरकार का कर्तव्य है। नया घर बेहतर है और इसी के लिए अधिसूचित भी किया गया है।”
विवाद के आगे बढ़ने की संभावना
राबड़ी आवास विवाद अब राजनीतिक तकरार में बदल चुका है। जहां एक ओर सरकार कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दे रही है, वहीं आरजेडी इसे बदले की राजनीति बता रही है।
संभावना है कि यह मामला आने वाले दिनों में और तेज होगा, खासकर यदि आरजेडी अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला करती है।
फिलहाल सरकार का रुख कड़ा है, और संकेत साफ हैं—सरकारी आवास पर कोई परिवार स्थायी अधिकार नहीं जता सकता।




