समस्तीपुर में मतदान शांतिपूर्ण संपन्न — गांव से शहर तक चुनावी चर्चा चरम पर
समस्तीपुर में मतदान शांतिपूर्ण संपन्न, शाम होते ही शुरू हुई ‘हवा और अनुमान’ की राजनीति — गांव से शहर तक चुनावी चर्चा चरम पर
समस्तीपुर : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में समस्तीपुर जिले के दसों विधानसभा क्षेत्रों में गुरुवार को मतदान शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी कतारें दिखीं, और दिनभर लोगों ने उत्साहपूर्वक अपने मताधिकार का प्रयोग किया। शाम तक मतदान प्रक्रिया खत्म होने के साथ ही, जिले भर में राजनीतिक चर्चा और अनुमान का दौर तेज हो गया।
मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद ही गांवों से लेकर शहरों तक, चौक-चौराहों से लेकर चाय की दुकानों और सामाजिक स्थलों तक चुनावी विश्लेषण की बहस छा गई। कहीं लोग अपनी पसंदीदा पार्टी की “लहर” बता रहे थे, तो कहीं स्थानीय उम्मीदवारों की जातीय समीकरण और जनसंपर्क के आधार पर जीत-हार का गणित बिठाया जा रहा था। हर कोई अपने-अपने हिसाब से नतीजों का अनुमान लगा रहा था — कोई कह रहा था “इस बार फलां पार्टी की हवा है”, तो कोई दूसरे प्रत्याशी की जीत “पक्की” मानकर खुश नजर आ रहा था।
शाम छह बजे मतदान खत्म होते ही प्रत्याशियों के कैंपों में भी हलचल बढ़ गई। उम्मीदवार और उनके प्रमुख समर्थक अपने-अपने बूथ एजेंटों, पंचायत प्रतिनिधियों और क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क बनाए हुए थे। हर प्रत्याशी अपने क्षेत्र के मतदान प्रतिशत, जातीय ट्रांसफर और स्थानीय वोटों के रुझानों का आकलन कर रहा था। कुछ उम्मीदवारों ने देर रात तक बूथ-वार रिपोर्ट लेते हुए “आंतरिक समीक्षा” शुरू कर दी थी।
इधर गांवों में चाय की दुकानों, चौपालों और सोशल मीडिया समूहों पर माहौल पूरी तरह चुनावी बना रहा।
युवाओं की टोली मोबाइल पर ‘रुझान सर्वे’ निकालने में जुटी थी, तो बुजुर्ग पुराने अनुभवों के आधार पर अपनी राजनीतिक भविष्यवाणी कर रहे थे। कई जगह समर्थक निजी एक्सिट पोल जारी करते दिखे — कोई अपने उम्मीदवार को “बहुमत से आगे” बता रहा था, तो कोई यह दावा कर रहा था कि “इस बार जनता ने बदलाव का मन बना लिया है।”
चुनाव के प्रति जनता का उत्साह इस बात से साफ झलक रहा था कि मतदान समाप्त होने के बाद भी लोगों की चर्चा का केंद्र सिर्फ “कौन जीतेगा” यही था। रात गहराने के साथ ही समर्थकों की टोली फोन, व्हाट्सएप और फेसबुक पर “रुझान” और “संभावित नतीजों” की चर्चा करती रही।
कुछ राजनीतिक जानकारों ने हालांकि संयम बरतते हुए कहा कि —
“यह दौर सिर्फ अनुमान का है, असली तस्वीर तो मतगणना के दिन ही सामने आएगी।”
जिले के विभिन्न हिस्सों से मिली जानकारी के अनुसार, मतदान के बाद चुनावी तापमान भले शांत दिखाई दे रहा था, पर अंदरूनी स्तर पर गठबंधन और विरोध दोनों के समीकरणों की चर्चा जारी रही।
कई क्षेत्रों में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी भी इस बार उल्लेखनीय रही, जिसने नतीजों की दिशा को और अनिश्चित बना दिया है।
समस्तीपुर के राजनीतिक गलियारों में अब सिर्फ एक ही सवाल गूंज रहा है —
“किस ओर झुका जनता का मन?”
मतदान के बाद की इस उत्सुकता ने जिले के हर वर्ग को अपने-अपने राजनीतिक मूल्यांकन में व्यस्त कर दिया है।
कुल मिलाकर, मतदान भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन समस्तीपुर में अब शुरू हुई है हवा और अनुमान की राजनीति —
जहाँ हर समर्थक अपनी-अपनी उम्मीदों के साथ जीत की संभावना तलाश रहा है। अंतिम नतीजे भले ही मतगणना के दिन तय हों, पर इतना निश्चित है कि लोकतंत्र का उत्सव समस्तीपुर की धरती पर पूरे जोश और शांति के साथ मनाया गया।




