उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस ने बिहार के रहने वाले एक ऐसे कुख्यात फर्जी IAS अधिकारी को गिरफ्तार किया है, जिसकी कहानी किसी फिल्मी प्लॉट से कम नहीं है। आरोपी का नाम है गौरव कुमार सिंह उर्फ ललित किशोर, जो खुद को IAS बताकर न सिर्फ सरकारी ठेके दिलाने का दावा करता था, बल्कि पूरा IAS प्रोटोकॉल फॉलो करते हुए 10–15 लोगों की टीम के साथ घूमता था, लग्जरी गाड़ियां रखता था और लाल-नीली बत्ती लगाकर गांवों में औचक निरीक्षण भी करता था।
गौरव की हैरतअंगेज हरकतों में एक घटना ऐसी भी है जिसने सभी को चौंका दिया—भागलपुर (बिहार) दौरे के दौरान जब एक असली SDM ने बैज और बैच पूछकर उसकी पहचान पर सवाल उठाया, तो गौरव ने उसे दो थप्पड़ जड़ दिए। चौंकाने वाली बात यह रही कि SDM ने इसकी कहीं शिकायत तक नहीं की।
AI की मदद से बनाया IAS का करियर, सोशल मीडिया पर बनाया भौकाल
पुलिस जांच में पता चला कि गौरव ने खुद को IAS अफसर साबित करने के लिए पूरा एक डिजिटल साम्राज्य खड़ा किया था।
- उसके पास फर्जी ID कार्ड
- AI से जनरेट किए हुए सरकारी टेंडर
- अखबार की AI-जनरेटेड कटिंग
- मीटिंग/निरीक्षण की फर्जी फ़ोटो
- सोशल मीडिया पर IAS गौरव कुमार सिंह का धौंस
इस डिजिटल फर्जीवाड़े में मदद करता था उसका साला अभिषेक कुमार, जो सॉफ्टवेयर की पढ़ाई कर चुका था। उसी की मदद से गौरव ने फर्जी IAS फाइलें, समाचार और फोटो तैयार किए।
4 गर्लफ्रेंड, उनमें से 3 प्रेग्नेंट—IAS समझकर प्यार में पड़ी थीं लड़कियां
गौरव के पास से पुलिस को 2 मोबाइल फोन मिले। इनकी जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ—
- उसने सोशल मीडिया पर IAS प्रोफाइल बनाकर 4 गर्लफ्रेंड बनाई थीं,
- इनमें से 3 इस समय प्रेग्नेंट हैं,
- सभी लड़कियां उसे असली IAS अधिकारी मानती थीं,
- किसी को उसकी शादीशुदा जिंदगी या धोखाधड़ी के बारे में कुछ पता नहीं था।
पुलिस ने लड़कियों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि IAS की पहचान देखकर ही उन्होंने गौरव से रिश्ता जोड़ा।
450 करोड़ का ठेका दिलाने का वादा… 5 करोड़ कैश और 2 इनोवा तक ले ली
गौरव का सबसे बड़ा शिकार बने पटना (मोकामा) के बड़े ठेकेदार माधव, जिसने बताया कि—
- दो साल पहले वह गौरव से एक कार्यक्रम में मिला था।
- IAS अधिकारी समझकर उसने परिचय किया और बातचीत शुरू हुई।
- इसके बाद गौरव ने उसे 450 करोड़ रुपये के सरकारी टेंडर दिलाने का झांसा दिया।
- प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 5 करोड़ रुपये ले लिए।
- इसके अलावा 2 लग्जरी इनोवा गाड़ियां और ज्वेलरी भी ले ली।
- गनर रखने और IAS प्रोटोकॉल सेट करने पर भी उसी का पैसा खर्च हुआ।
ठेकेदार ने कई बार रिश्ता मांगने पर गौरव पर दबाव बनाया, जिससे वह परेशान होकर अंडरग्राउंड हो गया और बाद में गोरखपुर में छिपकर रहने लगा।
बचपन से तेज, पर गरीबी ने मोड़ दिया जालसाजी की तरफ
ललित उर्फ गौरव की पृष्ठभूमि साधारण थी। वह सीतामढ़ी के मेहसौल गांव का रहने वाला है।
- पिता चलितर राम पेंट-पालिश का काम करते थे।
- गौरव पढ़ने में तेज था और पिता के साथ मजदूरी भी करता था।
- 2019 में उसने MSc (Maths) की पढ़ाई पूरी की।
- DIOS बनने का सपना लेकर 3 साल सिविल सेवा की तैयारी की।
- 2022 में सीतामढ़ी में आदित्य सुपर-50 कोचिंग खोली।
पहली धोखाधड़ी भी यहीं से शुरू हुई—एक छात्र से नौकरी दिलाने के नाम पर 2 लाख रुपये लिए लेकिन जॉब न मिलने पर FIR हो गई।
इसके बाद गौरव का कहना है कि—
“FIR से मेरा करियर खत्म हो गया… फिर मैंने IAS बनकर जीवन शुरू करने का फैसला कर लिया।”
IAS बनने का खेल—AI, सोशल मीडिया और सॉफ्टवेयर का जाल
अभिषेक और उसके दोस्त परमानंद गुप्ता ने मिलकर गौरव को IAS अफसर की तरह पेश किया।
- उन्होंने फर्जी ID, फर्जी मीटिंग फोटो, अखबार कटिंग,
- DM ऑफिस बैठकों की AI तस्वीरें,
- और सरकारी फाइलों की कम्प्लीट सेट तैयार कर दी।
इसके आधार पर गौरव ने यूपी, बिहार, एमपी और झारखंड तक अपना ठगी नेटवर्क फैला लिया।
लाल-नीली बत्ती, हूटर और गार्ड—पूरी IAS शैली में चलता था गौरव
गौरव दो गाड़ियों के काफिले में निकलता था—
- एक इनोवा में खुद बैठता,
- दूसरी गाड़ी में उसकी नकली सिक्योरिटी टीम,
- कार पर लगी लाल-नीली बत्ती,
- ऑफिसों में अचानक पहुंचकर निरीक्षण करना,
- हूटर बजाते हुए एंट्री मारना…
इतना भव्य IAS का भेष कि सरकारी कर्मचारी भी उसके सामने खड़े होकर सलाम ठोकते थे।
गोरखपुर में बोर्ड लगाकर रहने लगा—IAS गौरव कुमार
लगातार शिकायतों के बाद वह गोरखपुर भागकर आया और गुलरिहा इलाके के झुग्गियों में किराए का घर लिया।
- बाहर IAS गौरव कुमार का बड़ा बोर्ड लगा था।
- लोग उसे असली अधिकारी समझकर दूरी बनाकर रहते थे।
जब ठेकेदार माधव को गोरखपुर लोकेशन मिली, उसने पुलिस में शिकायत की।
इसके बाद एलआईयू और पुलिस ने 3 महीने निगरानी की और फिर उसे अरेस्ट कर लिया।
99.90 लाख कैश — GRP की चेकिंग में मिला सुराग
7 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान GRP ने वैशाली एक्सप्रेस में एक व्यक्ति से 99.90 लाख कैश बरामद किया।
वह पैसा नौकरी के नाम पर दी गई रिश्वत थी—जांच में यह रकम गौरव से जुड़ी पाई गई।
यहीं से फर्जी IAS का नेटवर्क पुलिस के रडार पर आ गया।
40 से अधिक लोगों से ठगी—चार राज्यों में फैला नेटवर्क
अब तक की जांच में सामने आया—
- गौरव ने 40 से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी, ट्रांसफर, कॉन्ट्रैक्ट और शादी करवाने के नाम पर ठगा।
- नेटवर्क फैला था यूपी, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश तक।
- AI आधारित फर्जी टेंडरों से करोड़ों रुपये की जालसाजी की गई।
जांच जारी, अधिकारी भी सकते में
पुलिस अधिकारियों का कहना है:
- “यह मामला अब तक का बेहद हाई-टेक जालसाजी केस है।
AI का इस्तेमाल कर इस स्तर की फर्जी ब्यूरोक्रेसी बनाना चौंकाने वाला है।”
अभी भी कई अधिकारियों को शक है कि कुछ सरकारी कर्मचारी भी इस नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं, जिनकी जांच जारी है।
निष्कर्ष: AI के युग में ‘फर्जी IAS’ का सबसे बड़ा खेल
गौरव उर्फ ललित किशोर की गिरफ्तारी ने दिखा दिया है कि—
- सोशल मीडिया का दुरुपयोग
- AI–जनरेटेड डॉक्यूमेंट
- और नकली सरकारी चमक-दमक
का इस्तेमाल कर कोई व्यक्ति कैसे पूरे सिस्टम को धोखा दे सकता है।
यह मामला न सिर्फ ठगी का है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की एक बड़ी खामी का भी आईना है—
जहाँ एक फर्जी IAS असली SDM को थप्पड़ मारकर भी बच निकलता है।
पुलिस अब मामले की गहन जांच कर रही है और आने वाले दिनों में इससे जुड़े और बड़े खुलासे होने की संभावना है।




