सहरसा : शनिवार को गायत्री शक्तिपीठ में बासंती नवरात्र का प्रथम दिन कलश स्थापन एवं आदि शक्ति के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री का पूजन विधि-विधान पूर्वक किया गया।पूजन का शुभारंभ भक्तिभाव से मातृ वंदना से हुआ।इस अवसर पर डॉ अरूण कुमार जायसवाल ने कहा सृष्टि का निर्माण आदि शक्ति माँ गायत्री के कृपा से हुआ। संसार के निर्माण में जगत की माता देव माता, वेद माता,विश्व माता है। यह भारतीय संस्कृति का चिंतन है,यह हमारे पूर्वज ऋषि मनिषयों की देन है।
यह भारतीय चिंतन की विशेषता है कि परमेश्वर को भी हमने माँ कहकर पुकारा। यह कहीं अन्यत्र नहीं है क्योंकि हमारे जीवन का पहला संवंध माँ से है।जिवात्मा की उत्पत्ति परमेश्वर से है,माँ है। इस एहसास के साथ नौ दिनों तक जीऐं।नवरात्र के नौ दिनों तक शक्ति को साधने का है।शक्ति साधना में नौ चक्र हैऔर नौ देवी है। आदि शक्ति के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री है।शैलपुत्री का मतलब है जहां चेतना सुषुप्ता अवस्था में है।चेतना के जागृति का आधार है। जागृति नहीं है।शैलपुत्री अर्थात पार्वती।जो ब्रह्मचारिणी बनकर तपस्या करती है।जीसकी पूजा कल होगी। ब्रह्मचारिणी में अंकुरण हो चुकी है।शैलपुत्री का स्वरूप साधक के लिए चेतना की सुषुप्ता अवस्था से जागरण की ओर है।चेतना अंकुरण के लिए तैयार है। आधार चक्र का ध्यान सुषुप्ता अवस्था की समाप्ति है। आज जो हम जप व ध्यान करेंगे वह मूलाधार में है।नववें दिन ज्ञान की प्रभा प्रकट होती है।




