समस्तीपुर जिले में नाबालिग से दुष्कर्म के एक गंभीर मामले में न्यायालय ने कड़ा और उदाहरणात्मक फैसला सुनाया है। अनन्य विशेष न्यायाधीश (रेप एवं पॉक्सो) डॉ. किशोर कुणाल की अदालत ने दोष सिद्ध होने पर अभियुक्त को 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही अदालत ने दोषी पर 25 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। पीड़िता के हितों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने अभियुक्त को पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि पीड़िता को देने का भी आदेश दिया है।
दोषी की पहचान मुसरीघरारी थाना क्षेत्र के गंगापुर गांव निवासी महेन्द्र साह के रूप में हुई है। यह मामला महिला थाना में दर्ज कांड संख्या 13/2022 से संबंधित है, जिसकी प्राथमिकी 3 मार्च 2022 को दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में पीड़िता ने गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद पुलिस ने मामले की गहन जांच की और सभी आवश्यक साक्ष्य एकत्र कर आरोप पत्र न्यायालय में समर्पित किया।
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत के समक्ष मजबूत साक्ष्य प्रस्तुत किए। विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो एक्ट) पंकज कुमार देव ने कुल 11 गवाहों को पेश किया, जिनकी गवाही और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्त के खिलाफ आरोप साबित हुए। अभियोजन ने पीड़िता की उम्र, घटना की परिस्थितियों और मेडिकल व अन्य साक्ष्यों के आधार पर मामले को प्रभावी ढंग से न्यायालय के सामने रखा।
वहीं, बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता ठाकुर विक्रम सिंह ने अभियुक्त का पक्ष रखा और अपने तर्क प्रस्तुत किए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और लंबी सुनवाई के बाद न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि प्रस्तुत साक्ष्य अभियुक्त के दोष को संदेह से परे सिद्ध करते हैं। अदालत ने कहा कि नाबालिग के साथ किया गया यह अपराध अत्यंत गंभीर और समाज को झकझोरने वाला है, जिसके लिए कठोर दंड आवश्यक है।
न्यायालय के इस फैसले को नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि पीड़िता को दिया गया मुआवजा उसके पुनर्वास और भविष्य की सुरक्षा में सहायक होगा। इस निर्णय से न केवल पीड़िता को न्याय मिला है, बल्कि यह समाज में यह संदेश भी गया है कि नाबालिगों के खिलाफ अपराध करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।




