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सर्दी में यूरिन रोकना बन सकता है खतरा, बढ़ता है संक्रमण और किडनी रोग’

सर्दी के मौसम में यूरिन होल्ड करने वाले लोग सावधान हो जाएं

सर्दी का मौसम आते ही शरीर की कई आदतें बदल जाती हैं। ठंड के कारण लोग पानी कम पीने लगते हैं, रजाई से बाहर निकलने में आलस महसूस करते हैं और सबसे आम बात—यूरिन को रोकने की आदत बढ़ जाती है। कई लोग सोचते हैं कि थोड़ी देर पेशाब रोक लेने से कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन यही छोटी सी लापरवाही धीरे-धीरे गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण बन सकती है। खासकर सर्दियों में यूरिन होल्ड करना शरीर के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।

ठंड के मौसम में शरीर की प्रतिक्रिया अलग होती है। तापमान गिरने पर रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और शरीर अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने की कोशिश करता है। इसी कारण सर्दियों में बार-बार पेशाब लगती है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति बार-बार पेशाब को रोकता है, तो मूत्राशय (ब्लैडर) पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। यह दबाव धीरे-धीरे ब्लैडर की मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है, जिससे भविष्य में पेशाब नियंत्रित करने में समस्या हो सकती है।

यूरिन रोकने की सबसे बड़ी समस्या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) का खतरा है। जब मूत्राशय में पेशाब लंबे समय तक जमा रहता है, तो बैक्टीरिया को पनपने का मौका मिल जाता है। इससे जलन, दर्द, बार-बार पेशाब आना, बदबूदार यूरिन और कभी-कभी बुखार तक हो सकता है। महिलाओं में यह समस्या पुरुषों की तुलना में अधिक देखी जाती है, लेकिन पुरुष भी इससे अछूते नहीं हैं।

सर्दी में यूरिन होल्ड करने से किडनी पर भी असर पड़ सकता है। पेशाब को बार-बार रोकने से संक्रमण ऊपर की ओर बढ़कर किडनी तक पहुंच सकता है, जिसे किडनी इंफेक्शन कहा जाता है। लंबे समय तक ऐसी आदत बनी रहे, तो किडनी की कार्यक्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कुछ मामलों में पथरी (किडनी स्टोन) बनने का खतरा भी बढ़ जाता है, क्योंकि पेशाब में मौजूद खनिज लंबे समय तक जमा रहते हैं।

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एक और गंभीर समस्या है—ब्लैडर ओवरडिस्टेंशन। जब मूत्राशय जरूरत से ज्यादा भर जाता है, तो उसकी दीवारें खिंच जाती हैं। बार-बार ऐसा होने से ब्लैडर अपनी सामान्य क्षमता खो सकता है। इसका नतीजा यह होता है कि व्यक्ति को या तो बार-बार पेशाब आने लगती है या फिर पेशाब पूरी तरह साफ नहीं हो पाता। बुजुर्गों और मधुमेह के मरीजों में यह समस्या और भी खतरनाक रूप ले सकती है।

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सर्दियों में लोग पानी कम पीते हैं, यह भी एक बड़ी गलती है। कम पानी पीने से पेशाब गाढ़ा हो जाता है, जिससे जलन और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। ठंड में प्यास कम लगती है, लेकिन शरीर को पानी की जरूरत उतनी ही होती है जितनी अन्य मौसमों में।

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इससे बचाव के लिए जरूरी है कि पेशाब लगते ही उसे रोकने के बजाय तुरंत जाएं। दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, भले ही प्यास कम लगे। ठंड से बचने के लिए शौचालय जाने में आलस न करें और साफ-सफाई का ध्यान रखें। अगर पेशाब में जलन, दर्द, रंग में बदलाव या बदबू महसूस हो, तो इसे नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से सलाह लें।

याद रखें, यूरिन रोकना कोई आदत नहीं बल्कि शरीर को दिया गया गलत संकेत है। सर्दी के मौसम में इस लापरवाही की कीमत आपको भारी पड़ सकती है। इसलिए सजग रहें, स्वस्थ रहें और अपने शरीर की जरूरतों का सम्मान करें।

Gaam Ghar Desk

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