Gaam Ghar, करीमुल्लापुर (कटिहार), SHABD रिपोर्ट : कटिहार जिले के अमदाबाद प्रखंड में पुनर्वास की मांग को लेकर ग्रामीणों का दर्द एक बार फिर सतह पर आ गया है। उत्तरी करीमुल्लापुर पंचायत के अंतर्गत शंकर बाँध के किनारे पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से रह रहे दर्जनों परिवार बुधवार को अंचल कार्यालय पहुँचे। निर्माण कार्य शुरू होने की आशंका और प्रशासन द्वारा माइकिंग के माध्यम से स्थल खाली करने के निर्देश ने इन परिवारों की चिंता को और बढ़ा दिया है।
ग्रामीणों के चेहरों पर वर्षों का दर्द साफ दिखाई दे रहा था। इनमें से कई लोग वृद्ध हो चुके हैं और अब भी स्थायी पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने अंचल पदाधिकारी को लिखित आवेदन सौंपकर मांग की कि बिना पुनर्वास किए घर उजाड़ना उनके जीवन को संकट में डाल देगा।
गंगा कटाव ने उजाड़ दिया था पूरा गाँव
पीड़ित परिवारों ने बताया कि उनका मूल गाँव नौरसिया छर्रामारी था, जो वर्ष 1984 में गंगा नदी के कटाव में पूरी तरह बह गया। तब उनके पूर्वजों ने शंकर बाँध के किनारे अस्थायी रूप से बसने की कोशिश की और तब से अब तक—करीब 40 वर्षों से—वे यहीं रह रहे हैं। बार–बार पुनर्वास की उम्मीदें दिखाई दीं, लेकिन कभी स्थायी आवास नहीं मिल सका।
अब जब बाँध पर निर्माण कार्य शुरू होने वाला है, प्रशासन ने उन्हें वहाँ से हटने का आदेश दे दिया है। इससे परिवारों में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।
“पहले पुनर्वास, फिर हटाने की कार्रवाई” – ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने कहा कि यदि प्रशासन उन्हें हटाना चाहता है, तो पहले पुनर्वास के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि समय–समय पर भूमिहीन और कटाव पीड़ितों को बसाने की योजनाओं की घोषणाएँ होती हैं, परंतु उन्हें अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं मिला।
प्रशासन ने जांच का भरोसा दिया
अंचल पदाधिकारी स्नेहा कुमारी ने बताया कि आवेदन प्राप्त हुआ है, जिसकी जांच कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों द्वारा उठाई गई समस्याओं को वरीय अधिकारियों तक भेजा जाएगा और आगे की कार्रवाई उसी आधार पर की जाएगी।
कटिहार के इन विस्थापित परिवारों की दशकों पुरानी पीड़ा अब प्रशासन के सामने एक बार फिर गूंज उठी है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस बार उनकी सुनवाई जरूर होगी।




