एयरपोर्ट बने स्टेशन! आखिर कैसे फेल हुआ IndiGo का सिस्टम, जानिए…
नई दिल्ली : देश भर के एयरपोर्ट्स इस समय रेलवे स्टेशन की तरह नजर आ रहे हैं। इसके पीछे कारण है भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (indigo) में आई अचानक और गंभीर व्यवस्थित समस्या। पिछले कुछ समय में इंडिगो ने 1,000 से अधिक उड़ानों को रद्द किया है, जिसके चलते यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। तेज रफ्तार ट्रेनों के जरिए यात्रा को आसान बनाने के सपने देखने वाले आम लोग अब एयरपोर्ट पर ही फंसते नजर आ रहे हैं।
कैसे बढ़ा संकट?
इंडिगो की यह समस्या अचानक नहीं आई। शुरुआत से ही एयरलाइन फ्लाइट्स के लेट होने और रद्द होने की समस्या झेल रही थी। एयरलाइन ने इसे छोटी तकनीकी खराबियों, मौसम, एयरपोर्ट पर भीड़ और सर्दियों में बदलाव की वजह बताया था। लेकिन असली झटका तब लगा जब सरकार ने फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नामक नया नियम लागू किया। इसका उद्देश्य पायलटों को थकान से बचाना और हवाई सुरक्षा को सुनिश्चित करना था।
इस नए नियम के तहत पायलटों को नियमित और अनिवार्य आराम देना आवश्यक हो गया। पहले से ही कम स्टाफ और अधिक उड़ानों के बोझ में फंसी इंडिगो के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई। कई पायलट अनिवार्य आराम पर चले गए, जिससे उड़ानों की संख्या कम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
एयरबस 320 की चेतावनी और देर रात का असर
इंडिगो को तकनीकी खराबियों और नए नियमों के साथ-साथ एयरबस 320 की चेतावनी ने और परेशान कर दिया। रात 12 बजे के बाद कई उड़ानों को रद्द करना पड़ा। इससे रात्रिकालीन उड़ानों में व्यवधान बढ़ गया और यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में गंभीर परेशानी हुई।
इंडिगो का बड़ा आकार बना चुनौती
भारत में सबसे बड़ी एयरलाइन होने के नाते इंडिगो का आकार ही उसे संकट में डालने वाला बन गया। बड़ी संख्या में उड़ानों का संचालन, कम स्टाफ और नए नियमों के बीच एयरलाइन के सिस्टम पर भारी दबाव पड़ा। हालाँकि सरकार ने स्थिति को देखते हुए डीजीसीए (DGCA) ने नियमों में राहत दी। नए आदेश के अनुसार अब पायलट्स की साप्ताहिक आराम को छुट्टी में बदलने की बाध्यता हटी गई। इससे एयरलाइन को पायलट रोटेशन में आसानी होगी और कुछ दबाव कम होने की उम्मीद है।
पायलट संघों की नाराजगी
हालांकि नियमों में राहत मिलने के बाद एयरलाइन को स्थिरता की उम्मीद है, लेकिन पायलट संघ नाराज दिख रहे हैं। उनका आरोप है कि इंडिगो के मैनेजमेंट ने समय रहते नई भर्ती या अन्य तैयारियों के जरिए समस्या का समाधान नहीं किया। संघ का कहना है कि एयरलाइन को पहले से ही यह जानकारी थी कि नए नियम लागू होने वाले हैं, लेकिन इसके बावजूद जरूरी कदम नहीं उठाए गए।
विशेषज्ञों का विश्लेषण
कई हवाई यात्रा विशेषज्ञ मानते हैं कि इंडिगो ने इस संकट को बढ़ावा देकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है। इसका मकसद था कि नियमों में ढिलाई दी जाए। वहीं, पायलट संघ इसे हवाई सुरक्षा और यात्रियों के हित के साथ जोड़ते हैं। कारण चाहे जो भी हो, असली परेशानी आम यात्रियों को झेलनी पड़ रही है।
यात्रियों की मुश्किलें और एयरपोर्ट का हाल
देश भर के एयरपोर्ट्स पर भारी भीड़ जमा हो गई है। हर दिन सैकड़ों फ्लाइट्स रद्द हो रही हैं। यात्रियों को टिकट बदलने, गंतव्य बदलने या रात भर एयरपोर्ट पर इंतजार करने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एयरपोर्ट पर स्टेशन जैसी स्थिति बन गई है।
सरकार का मानना है कि इंडिगो एयरलाइन में धीरे-धीरे स्थिरता आएगी और 10 फरवरी 2026 तक स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में हो सकती है। इसके साथ ही उम्मीद है कि नए नियमों में सुधार और पायलट रोटेशन के माध्यम से यात्रियों को बेहतर सुविधा दी जा सकेगी।
भारत की हवाई यात्रा प्रणाली में यह संकट एक चेतावनी के समान है कि एयरलाइन मैनेजमेंट, कर्मचारियों और सरकार के बीच तालमेल कितना आवश्यक है। इंडिगो जैसी बड़ी एयरलाइन में स्टाफ की कमी और नियमों में बदलाव ने यह स्पष्ट कर दिया कि तैयारी और पारदर्शिता के बिना यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस बीच यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सबसे अहम बनी हुई है।




