बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के लिए राज्य तैयारी के आख़िरी चरण में है। इस चरण में कुल 3.75 करोड़ मतदाता 121 सीटों पर 1,314 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत तय करेंगे — अधिकारी दोनों पक्षों के लिए निर्णायक संकेत देने वाले इस मॅच से जुड़ी तैयारियाँ बुधवार शाम तक पूरी कर ली गईं।
राजनीतिक दृष्टि से यह चरण खास महत्व रखता है क्योंकि इसमें विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे तेजस्वी यादव सहित कई बड़े नाम और केंद्र-राज्य के प्रभावशाली नेता मैदान में हैं। राघोपुर सीट पर तेजस्वी यादव लगातार तीसरी जीत दर्ज करने की कोशिश में हैं और उनके सामने भाजपा के सतीश कुमार जैसे मजबूत प्रतिद्वंदियों के साथ—कई दैत्यवाक्यों में जनसुराज से जुड़े दावेदारों की भी संभावित भूमिका रही है, जिससे राघोपुर इस चरण का सबसे नज़रअंदाज़ न किया जाने वाला संसदीय अखाड़ा बन गया है।
इसी क्रम में राघोपुर से सटे महुआ की सीट पर तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव की पॉलिटिकल प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़े हैं; महुआ एक बहुकोणीय मुकाबला बन चुका है जहाँ स्थानीय और क्षेत्रीय समीकरण निर्णायक साबित होंगे। (जिला और क्षेत्रीय रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि इस सीट पर कई निर्दलीय व छोटे दलों के प्रतिद्वंद्वी भी मैदान में हैं)।
पहले चरण में कुल 16 मंत्रियों की किस्मत भी दांव पर है — जिसमें केंद्रीय और राज्य स्तरीय प्रभाव रखने वाले मंत्री शामिल हैं। रिपोर्टों के अनुसार इनमें भाजपा के कई प्रभावशाली चेहरे और जेडीयू के उच्च पदस्थ नेता शामिल हैं; ऐसे कई मंत्री हैं जिनकी जीत-हार राजनीतिक समीकरणों को नए सिरे से आकार दे सकती है। इस चरण की नतीजें राज्य के राजनीतिक तेल-तिलहन को दफ़्तरों से लेकर सड़क तक हिला सकती हैं।
खासकर जेडीयू के उन पाँच मंत्रियों की कुंडली इस चरण में खुलकर सामने आ रही है — जिनमें जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी (सरायरंजन), ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (नालंदा), समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी (बहादुरपुर), सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी (कल्याणपुर) और सोनबरसा से रत्नेश सदा शामिल बताए जा रहे हैं — उनकी जीत या हार का असर स्थानीय कामकाज और पार्टी के जनाधार दोनों पर पड़ेगा।
चुनावी माहौल में सुरक्षा-व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई है; चुनाव आयोग व पुलिस ने तीन-स्तरीय सुरक्षा पर बल रखा है ताकि मतदान शांतिपूर्ण और निर्बाध तरीके से संपन्न हो सके। बूथ लेवल तक चुनाव कर्मचारियों, इंतज़ाम और मतदाता सूची की सूक्ष्म जाँच सुनिश्चित की गई है ताकि मतदाता अधिकार का उपयोग निर्भीकता से कर सकें।
राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि इस चरण के परिणाम न केवल स्थानीय सत्ता विभाजन बताएँगे बल्कि राज्य की समग्र राजनीतिक दिशा — महागठबंधन बनाम एनडीए — पर भी असर डालेंगे। स्थानीय मुद्दे — बेरोजगारी, कृषि संकट, विकास परियोजनाओं की गति और सामाजिक-आर्थिक असंतुलन — इन सीटों के नतीजों को आकार देंगे; वहीं बड़े चेहरों की प्रतिष्ठा और चेहरे-बदला हुआ वोटर बेस भी निर्णायक भूमिका निभाएगा।
चुनाव कार्यक्रम के अनुसार यह चुनाव दो चरणों में हो रहा है — पहले चरण के मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को संपन्न होगा; वोटों की गिनती और नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाने हैं, जब यह साफ़ होगा कि पहले चरण ने किस गठबंधन और किन उम्मीदवारों को राजनीतिक बढ़त दी है।
अंत में, मतदान से पहले का यह सघन दौर राजनीतिक परिदृश्य में बड़े उतार-चढ़ाव की तैयारी का संकेत है — 3.75 करोड़ मतदाता और 1,314 उम्मीदवारों के बीच होने वाली टक्कर न सिर्फ उम्मीदवारों की किस्मत तय करेगी, बल्कि बिहार की राजनीति के आगामी अध्याय की रूपरेखा भी निर्धारित करेगी।
(नोट: ऊपर दी गई सांख्यिकीय और प्रमुख कैंडिडेट संबंधी जानकारी आधिकारिक घोषणाओं तथा प्रमुख समाचार स्रोतों के आधार पर तैयार की गई है।)




