बिहार के सीवान जिले से भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की खबर सामने आई है। सिसवन थाना क्षेत्र में पदस्थापित सब इंस्पेक्टर (SI) कन्हैया सिंह को निगरानी विभाग की टीम ने 40 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई मंगलवार को महाराणा प्रताप चौक स्थित एक चाय दुकान पर की गई, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया और पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए।
निगरानी धावा दल का नेतृत्व कर रहे डीएसपी विप्लव कुमार ने बताया कि मामला सिसवन थाना कांड संख्या 309/2025 से जुड़ा है। सिसवन थाना क्षेत्र में जमीन विवाद को लेकर दो पक्ष—निशा कुमारी और राजीव कुमार शाही—के बीच मारपीट हुई थी। इस घटना के संबंध में दोनों पक्षों की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इस केस की अनुसंधान की जिम्मेदारी SI कन्हैया सिंह को सौंपी गई थी।
आरोप है कि अनुसंधान के दौरान दरोगा ने केस से एक व्यक्ति का नाम हटाने के एवज में रिश्वत की मांग की। पीड़ित पक्ष के सुनील कुमार से 40 हजार रुपये की डिमांड की गई थी। रिश्वत की मांग से परेशान होकर सुनील कुमार ने 18 दिसंबर को निगरानी विभाग में इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत की प्रारंभिक जांच के बाद निगरानी विभाग ने आरोपों को सही पाया और निगरानी कांड संख्या 117/25 दर्ज करते हुए कार्रवाई की योजना बनाई।
योजना के तहत डीएसपी विप्लव कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई। पूर्व निर्धारित रणनीति के अनुसार निगरानी टीम सिसवन पहुंची। तय स्थान महाराणा प्रताप चौक स्थित पप्पू चाय दुकान पर जैसे ही SI कन्हैया सिंह ने पीड़ित से 40 हजार रुपये नगद बतौर रिश्वत ली, वैसे ही निगरानी टीम ने मौके पर पहुंचकर उन्हें रंगेहाथ पकड़ लिया। रिश्वत की राशि भी मौके से बरामद कर ली गई।
गिरफ्तारी के बाद आरोपी दरोगा को सिसवन थाना लाया गया, जहां प्रारंभिक पूछताछ की जा रही है। डीएसपी ने बताया कि आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद SI कन्हैया सिंह को पटना ले जाया जाएगा। वहां उनसे विस्तृत पूछताछ की जाएगी और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में चर्चा का माहौल है। आम नागरिकों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कड़ा संदेश जाता है। वहीं, पुलिस विभाग की छवि को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। निगरानी विभाग की इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी सफलता माना जा रहा है और लोगों को उम्मीद है कि इससे प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।




