पटना : बिहार की राजनीति में इन दिनों सबसे बड़ी चर्चा का विषय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की संभावित राजनीतिक एंट्री है। राजधानी पटना स्थित जदयू कार्यालय के बाहर लगे नए पोस्टरों ने इस अटकल को और गहरा कर दिया है। इन पोस्टरों पर लिखा है—
“अब पार्टी की कमान संभालें निशांत”
साथ ही एक और नारा—
“नीतीश सेवक मांगें निशांत”
ने राजनीतिक गलियारे में नई बहस को जन्म दे दिया है।
यह पोस्टर ऐसे समय पर लगाए गए हैं जब जदयू ने राज्यभर में 2025–2028 सदस्यता अभियान की औपचारिक शुरुआत की है। इस अभियान की शुरुआत खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पार्टी सदस्यता नवीकरण से हुई। इसके बाद जदयू के शीर्ष नेताओं—राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, वशिष्ठ नारायण सिंह, बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने सदस्यता ग्रहण की।
संजय झा के बयान से बढ़ी चर्चा
अटकलों की शुरुआत तब हुई जब शुक्रवार को पटना एयरपोर्ट पर जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने मीडिया से बातचीत के दौरान निशांत के राजनीति में आने के संकेत दिए।
झा ने कहा था—
“पार्टी सदस्य, शुभचिंतक और समर्थक चाहते हैं कि निशांत कुमार सक्रिय राजनीति में आएं और पार्टी को मजबूत करें। अंतिम निर्णय उन्हें ही लेना है।”
दिलचस्प बात यह थी कि इस समय निशांत कुमार स्वयं संजय झा के पास खड़े थे, जिससे राजनीतिक चर्चा और तेज हो गई कि शायद जदयू अगली पीढ़ी के नेतृत्व की तैयारी कर रहा है।
कौन हैं निशांत कुमार?
20 जुलाई 1975 को जन्मे निशांत कुमार, नीतीश कुमार और मंजू सिन्हा के इकलौते बेटे हैं।
उनकी शिक्षा प्रतिष्ठित संस्थानों से हुई—
- स्कूली शिक्षा: सेंट केरन्स हाई स्कूल, पटना
- आगे की पढ़ाई: मानव भारती इंडिया इंटरनेशनल स्कूल, मसूरी
- उच्च शिक्षा: BIT मेसरा, जहाँ उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की
साल 2017 में एक इंटरव्यू में निशांत ने कहा था—
“मुझे राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है। मेरा पहला प्यार आध्यात्म है और मैं उसी दिशा में आगे बढ़ना चाहता हूँ।”
उन्होंने खुद को राजनीति से दूर रखने की इच्छा जताई थी।
परंतु समय के साथ तस्वीर बदलती दिख रही है। इसी साल जनवरी में वे बख्तियारपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में जनता के बीच नजर आए थे और पिता नीतीश कुमार के समर्थन में सक्रिय दिखाई दिए।
JDU में अगली पीढ़ी की तैयारी?
जदयू का नया सदस्यता अभियान पार्टी संगठन को मजबूत करने और नए चेहरों को जोड़ने पर केंद्रित है। ऐसे में निशांत को लेकर उठ रही चर्चाएँ यह संकेत देती हैं कि पार्टी उत्तराधिकार की वैकल्पिक राह तलाश रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि—
- 2025 के विधानसभा चुनाव करीब हैं,
- नीतीश कुमार का लंबा राजनीतिक सफर है,
- पार्टी कार्यकर्ता युवा नेतृत्व की तलाश में हैं,
इन सब कारणों से निशांत का नाम चर्चा में तेजी से आया है।
अभी निर्णय निशांत के हाथ में
संजय झा और अन्य नेताओं के बयान से हालांकि वातावरण गर्म है, लेकिन जदयू ने स्पष्ट किया है कि
“पार्टी की ओर से कोई दबाव नहीं है। अंतिम निर्णय निशांत कुमार का होगा।”
फिर भी, पटना की सड़कों और जदयू कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर बताने के लिए काफी हैं कि जदयू के भीतर ‘नेतृत्व की नई पीढ़ी’ को आगे लाने की इच्छा ज़ोर पकड़ रही है।
अब सबकी नज़र इस बात पर है कि क्या निशांत अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने का निर्णय लेते हैं या आध्यात्मिक मार्ग पर ही चलते रहते हैं। फिलहाल, बिहार की राजनीति में यह सवाल सबसे बड़ा चर्चित मुद्दा बना हुआ है।




